स्कूली शिक्षकों के प्रशिक्षण में पश्चिम बंगाल का रहा असहयोगपूर्ण रवैया
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाने में जुटी सरकार ने स्कूलों में पढ़ा रहे अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण का एक बड़ा लक्ष्य हासिल किया है। देशभर के स्कूलों में पढ़ा रहे ऐसे 12 लाख से अधिक शिक्षकों को 18 महीनों के तय समय में प्रशिक्षित किया गया है। हालांकि इस काम में उसे पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के असहयोगपूर्ण रवैये का भी सामना करना पड़ा। जहां परीक्षा में गड़बड़ी की कोशिशें की गईं और प्रश्नपत्र को सुनियोजित तरीके से तीन दिन पहले लीक कराया गया।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय से जुड़े राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) के अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा ने बुधवार को शिक्षकों के प्रशिक्षण परिणामों की घोषणा करते हुए यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण का यह कार्यक्रम देशभर में चलाया गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल ही एकमात्र ऐसा राज्य रहा, जहां उन्हें असहयोग का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि परीक्षा से तीन दिन पहले पेपर लीक करके एनआइओएस की साख को बिगाड़ने की कोशिश की गई। हालांकि जैसे ही उन्हें इसकी सूचना मिली, उन्होंने पूरी परीक्षा को रद किया और नए सिरे से परीक्षा कराई। दूसरी बार, कुछ केंद्रों पर गड़बड़ी कराई गई, जिसके बाद फिर से कुछ केंद्रों पर परीक्षा रद करानी पड़ी। शिक्षकों के इस प्रशिक्षण में अकेले पश्चिम बंगाल से 1.57 लाख शिक्षकों ने हिस्सा लिया था। पश्चिम बंगाल के असहयोगपूर्ण रवैये का हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी वह आयुष्मान भारत सहित कई केंद्रीय योजनाओं को लेकर ऐसा ही असहयोगपूर्ण रवैया दिखा चुकी है।
3.66 लाख स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण : एनआइओएस के मुताबिक, प्रशिक्षण में देशभर के 3.66 लाख से ज्यादा स्कूलों के शिक्षकों ने हिस्सा लिया। इनमें 1.78 लाख निजी स्कूल, 1.21 लाख सरकारी स्कूल और 67 हजार सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षक शामिल थे। एनआइओएस अध्यक्ष ने बताया कि इस दौरान करीब दो लाख शिक्षकों के रिजल्ट 12वीं में 50 फीसद से कम अंक होने के चलते रोके गए हैं। ऐसे सभी शिक्षकों को 12वीं के अंकों में सुधार का मौका दिया है।