मजान में नहीं बदलेगा मतदान का समय
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता वकील मोहम्मद निजामुद्दीन पाशा का कहना था कि रमजान चल रहा है और मुस्लिम समुदाय रोजे रखता है, ऐसे में कड़ी गर्मी में निकलकर मतदान करना उनके लिए मुश्किल होगा। उनका कहना था कि कोर्ट ने मामला विचार के लिए चुनाव आयोग को भेजा था, लेकिन आयोग ने मांग अस्वीकार कर दी है।
शीर्ष कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद कहा वह मतदान का समय तय करने के मसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। चुनाव आयोग ने निर्णय लिया है तो उसके कारण तार्किक हो सकते हैं। वैसे भी ज्यादातर चरणों का मतदान हो चुका है अब सिर्फ एक चरण का मतदान बचा है। जब याचिकाकर्ता ने बढ़ती गर्मी, विशेषकर दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक, का हवाला देते हुए मतदान का समय जल्दी करने की मांग की तो कोर्ट का जवाब था कि मतदान का समय सुबह सात बजे से लेकर शाम छह बजे तक है। लोग सुबह जाकर मतदान कर सकते हैं।
मालूम हो कि दो मई को कोर्ट ने चुनाव आयोग से याचिकाकर्ता के ज्ञापन पर विचार करने को कहा था, लेकिन चुनाव आयोग ने पांच मई को याचिकाकर्ता की मांग ठुकरा दी थी। अपनी नई याचिका में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि आयोग ने यह कहते हुए उनकी मांग ठुकरा दी है कि ऐसा करना प्रशासनिक तौर पर संभव नहीं हो पाएगा।
याचिकाकर्ता ने कहा कि चुनाव आयोग के पांच मई के आदेश में दिए गए तर्क विरोधाभासी हैं क्योंकि आयोग ने दावा किया है कि उसने मतदान की तारीखें तय करने में त्योहारों और तेज गर्मी को ध्यान में रखा है। इसके बावजूद आयोग ने मतदान के लिए वही मानक समय तय किया है जो वह देश के किसी भी हिस्से में कोई भी चुनाव कराने के लिए निर्धारित करता है। याचिका में भारतीय मौसम विभाग की उस चेतावनी का भी जिक्र किया गया जिसके मुताबिक अगले कुछ दिनों में मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत मतदान वाले इलाकों में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है।