असीम शक्तियों’ ने परीक्षा नियंत्रक को बनाया निरंकुश
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : उप्र लोकसेवा आयोग में इधर के वर्षो में बदलाव तेजी से हुए हैं लेकिन, परीक्षाओं को लेकर सारी शक्तियां अब भी परीक्षा नियंत्रक में ही निहित हैं। परीक्षा नियंत्रक को यह अधिकार करीब 25 वर्ष पहले मिले थे, तब से उसमें बदलाव नहीं किया गया है। यही वजह है कि इस पद पर बैठने वाले अधिकारी निरंकुश होते चले गए। इसकी परिणति परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार की गिरफ्तारी और कई परीक्षाओं के स्थगित होने के रूप में सामने आई है।
यूपीपीएससी अध्यक्ष अनिल यादव के हटने के बाद तमाम नियम व व्यवस्थाएं बदलीं हैं। साक्षात्कार में अभ्यर्थी की पहचान उजागर न होने का निर्णय खासा अहम है, क्योंकि अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को जानबूझकर फेल या फिर पास किया जाता है। इसके अलावा छह अन्य बदलाव भी हुए हैं। पिछले वर्ष ही पीसीएस की मुख्य परीक्षा यूपीएससी की तर्ज पर कराने पर सहमति बनी है। यह इम्तिहान इसी माह 17 जून शुरू होना था लेकिन, परीक्षा नियंत्रक की गिरफ्तारी के बाद सारी परीक्षाएं अधर में अटक गई हैं। यूपीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष केबी पांडेय कहते हैं कि परीक्षा नियंत्रक को असीमित अधिकार करीब 25 वर्ष पहले मिले हैं। यह एक्ट विधानसभा से भी स्वीकृत है। उन्होंने बताया कि तत्कालीन अध्यक्ष ने अपनी सुविधा के लिए इस तरह के बदलाव कराए थे। अब इस पर पुनर्विचार होना चाहिए, क्योंकि मौजूदा समय में ऐसा दौर नहीं है कि सारी व्यवस्थाएं एक ही जगह केंद्रित रहें। बोले, यदि इस दिशा में पहले विचार होता तो शायद छमाही परीक्षा कैलेंडर स्थगित करने की नौबत नहीं आती।