नई दिल्ली : चार साल का ग्रेजुएशन एक साल में डिप्लोमा, शिक्षकों के लिए चार वर्षीय बीएड अनिवार्य
नई दिल्ली । मसौदे में निजी एवं सरकारी संस्थानों को समान मानने की अनुशंसा की गई है। भविष्य में शिक्षक बनने के लिए चार वर्षीय बीएड को न्यूनतम योग्यता बनाने की सिफारिश की गई है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग' और शोध को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की बात कही गई है।.
आने वाले समय में छात्रों के लिए तीन वर्षीय स्नातक के अलावा चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम का विकल्प होगा जिसमें ऑनर्स की डिग्री मिलेगी। वहीं,बीच में कोर्स छोड़ने वाले छात्रों को भी उनकी पढ़ाई की अवधि के आधार पर डिप्लोमा एवं डिग्री प्रदान की जाएगी।.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी नई शिक्षा नीति के मसौदे में यह प्रावधान किए गए हैं। मंत्रालय ने मसौदे पर सुझाव आमंत्रित किए हैं। सभी प्रकार के उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना, फंडिंग, प्रत्यायन एवं नियमन के लिए चार स्वतंत्र निकायों के गठन की सिफारिश की गई है। इसमें नियमन के लिए राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियमन प्राधिकरण की स्थापना की बात की है। इस संस्था के पास उच्च शिक्षा संस्थानों के नियमन का अधिकार होगा। इसी तरह, ‘नैक' के पास शिक्षा संस्थानों के प्रत्यायन का अधिकार होगा। पेशेवर मानक तय करने के लिए सभी पेशों से जुड़े निकायों के गठन का प्रस्ताव यूजीसी के स्थान पर एचईजीसी के गठन की अनुशंसा की गई है। .
मसौदे में निजी एवं सरकारी संस्थानों को समान मानने की अनुशंसा की गई है। भविष्य में शिक्षक बनने के लिए चार वर्षीय बीएड को न्यूनतम योग्यता बनाने की सिफारिश की गई है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग' और शोध को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की बात कही गई है।.
मसौदे में निजी एवं सरकारी संस्थानों को समान मानने की अनुशंसा की गई है। भविष्य में शिक्षक बनने के लिए चार वर्षीय बीएड को न्यूनतम योग्यता बनाने की सिफारिश की गई है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग' और शोध को बढ़ावा देने के लिए ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन' की स्थापना की बात कही गई है।.