मृतक आश्रितों पर हाई कोर्ट की ऐतिहासिक पहल, राज्य सरकार को नौकरी के बजाय पैकेज देने का सुझाव
हाई कोर्ट ने कहा मृतक आश्रितों की भारी संख्या व पदों की कमी को देखते हुए सरकार ऐसा तरीका निकाले जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य की नियुक्त हो व आश्रितों को भी सामाजिक न्याय मिले।...
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मृतक कर्मचारी के आश्रितों के हित में ऐतिहासिक पहल की है।सरकारी सेवा में समान अवसर व सामाजिक न्याय में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मृतक आश्रितों को विशेष पैकेज देने का सुझाव दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने अंकुर गौतम व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रितों की भारी संख्या और पदों की कमी को देखते हुए सरकार ऐसा तरीका अपनाए, जिससे खुली प्रतियोगिता से योग्य लोगों की नियुक्त हो और आश्रितों को भी सामाजिक न्याय मिल सके। कोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार आश्रित परिवार को मृत कर्मचारी की सेवानिवृत्ति या अचानक आई आपत्ति से उबरने के लिए 3 से 5 वर्ष तक कर्मचारी को मिल रहे वेतन का भुगतान करने का कानून बनाए। ऐसा करने से खुली प्रतियोगिता से नियुक्ति के अवसर बढ़ेंगे और आश्रित को भी सहायता मिल सकेगी।
हाई कोर्ट ने पुलिस विभाग में सीधी भर्ती कोटे के 5 फीसद पदों पर आश्रितों की नियुक्ति के नियम को वैध करार दिया है और कहा है कि ऐसा न करने से आश्रितों की संख्या अधिक होने से सीधी भर्ती के अवसर कम होंगे। कोर्ट ने प्रदेश के सभी विभागों के लिए आश्रितों को सामाजिक न्याय के कानून बनाने के लिए आदेश की प्रति मुख्य सचिव को प्रेषित करने का आदेश दिया है