अब तक 50 निर्धन बच्चों को बना चुके अफसर
मनोज सिंह ’ जमशेदपुर
संजय कच्छप ने खुद तो कांटों की चुभन सही, लेकिन गांव के गरीब बच्चों के लिए वरदान बनकर उभरे। इन्होंने बचपन में ही ठान लिया था कि जब कभी वह सक्षम होंगे तो किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई पैसे के अभाव में बंद नहीं होने देंगे। कारण, बचपन में वह खुद एक-एक पैसे के लिए मोहताज थे। दो भाई व एक बहन में सबसे बड़े संजय ने दिन-रात पढ़ाई की। वह 2005 में रेलवे भर्ती बोर्ड के अंतर्गत तीन अलग-अलग पद की नियुक्ति परीक्षा में सफल हो गए तो परिवार के साथ-साथ पूरे गांव में खुशियां मनाई गईं। 2008 में संजय ने झारखंड लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास की और आज वह जमशेदपुर में कृषि उत्पादन बाजार समिति के सचिव हैं।
नौकरी मिलने के बाद से वह अपना अधिकतर समय गरीब बच्चों का भविष्य गढ़ने में लगा रहे हैं। कोल्हान प्रमंडल में दर्जन भर से अधिक लाइब्रेरी खोल कर वह बच्चों को किताब खरीदने की परिपाटी से दूर कर रहे हैं। खुद क्लास भी लेते हैं। इनके शिक्षण से अब तक 50 से अधिक गरीब बच्चे अधिकारी बन चुके हैं। आज भी संजय अपना आधा वेतन गरीब छात्र-छात्रओं की पढ़ाई पर खर्च करते हैं। जिस सरकारी आवास में वह रहते हैं वहां भी उन्होंने पुस्तकालय बनाया है। यहां दूरदराज के आठ-दस छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं। इन्होंने आसपास के कई गांव में किराये पर घर लेकर पुस्तकालय खोला है, जहां बच्चे पढ़ाई तो करते ही हैं, परीक्षा के दौरान वहीं रहते भी हैं। कुछ पुस्तकालय नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी हैं। इनके पुस्तकालय में 11 हजार से अधिक किताबें हैं। इनके प्रयास से चाईबासा के मनोज खलखो (सहायक प्रबंधक, इंडियन ओवरसीज बैंक) व पंकज रवि (सहायक प्रबंधक आइडीबीआइ) के अलावा 50 से अधिक बच्चे अच्छी नौकरी कर रहे हैं।
अब डिजिटल क्लासरूम : चक्रधरपुर स्थित कोलचकड़ा के पास कुडख गांव में संजय कच्छप ने एक डिजिटल लाइब्रेरी खोली है, जहां सात कंप्यूटर हैं। दूरदराज के गांवों के बच्चे यहां कंप्यूटर की शिक्षा ले रहे हैं। संजय कहते हैं कि वह बहुत जल्द यहां डिजिटल क्लासरूम खोलेंगे, ताकि गरीब बच्चे भी बेहतर व आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर सकें। संजय कच्छप की इस मुहिम से प्रभावित होकर अब कई संस्थाओं के लोग भी उनसे जुड़ रहे हैं। संजय के भाई व उनके रिश्तेदार भी उनकी मदद करते हैं। उनके छोटे भाई अजय कच्छप व एक रिश्तेदार विकास टोप्पो दिल्ली में रहकर सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहे हैं, साथ ही पांच युवकों को तकनीकी शिक्षा दिला रहे हैं।
अब तक 12 पुस्तकालय : संजय अब तक झारखंड के विभिन्न इलाकों में 12 पुस्तकालय खोल चुके हैं। इसके अलावा मनोहरपुर व चक्रधरपुर (प. सिंहभूम), सीतारामडेरा (जमशेदपुर), घाटशिला (पू. सिंहभूम), भालूपानी राजनगर, कुचाई व खरसावां (सरायकेला-खरसावां) में पुस्तकालय के लिए काम शुरू हो चुका है।