सात दिन में अनुमोदन न करने पर स्वत: हो जाएगी नियुक्ति
विधि संवाददाता, प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि अध्यापक की नियुक्ति का अनुमोदन जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) यदि सात दिन में नहीं करता तो उसकी नियुक्ति स्वत: अनुमोदित हो जाएगी। ऐसी नियुक्ति को प्रक्रिया का पालन न होने के आधार पर अवैध मान नियमित करने से इन्कार करना अनुचित है। कोर्ट ने निरीक्षक के आदेश को रद करके उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एक्ट 1982 की धारा 33(जी ) के तहत सेवा नियमितीकरण पर चार माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गो¨वद माथुर व न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने प्रमोद कुमार पांडेय व पांच अन्य की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी प्रबंधक व डीआइओएस से रिकार्ड मंगाकर निर्णय लें। नियमितीकरण पर निर्णय होने तक याचियों को प्राप्त अंतरिम आदेश जारी रहेगा। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता अमरनाथ त्रिपाठी, आरपी मिश्र व अर¨वद मिश्र ने बहस की। मामला सकलडीहा इंटर कॉलेज चंदौली का है। वहां एलटी ग्रेड शिक्षक पद खाली होने पर प्राधिकृत नियंत्रक ने डीआइओएस से तदर्थ नियुक्ति की अनुमति मांगी, लेकिन डीआइओएस की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला। इसके बद विज्ञापन निकालकर नियंत्रक ने चयन के बाद याचियों की नियुक्ति कर डीआइओएस को 17 अक्टूबर 1997 को अनुमोदन के लिए भेज दिया, लेकिन नियुक्त शिक्षकों का वेतन जारी नहीं हुआ। इस पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका पर कोर्ट ने निर्णय लेने का आदेश दिया। जिस पर डीआइओएस ने नियुक्ति प्रक्रिया का पालन न होने के कारण नियुक्ति अवैध करार दिया।