सड़क पर पानी, कीचड़ व धूल,बच्चे कैसे जाएं स्कूल
जागरण संवाददाता, बस्ती : अंकल जी! सड़क पर पानी,कीचड़ और धूल,कैसे जाएं स्कूल। बच्चों के इस सवाल पर हर कोई अनुत्तरित है। गुरुवार को जागरण टीम सड़क की पड़ताल करने पहुंची तो बच्चों ने यही सवाल दागा। साथ चल रहे घर वालों ने कहा वह लोग तो रोज घर में स्कूल के समय इस सवाल का सामना करते हैं। बच्चों की पीड़ा को दूर करने के लिए हर तरफ से असहाय हो चुके नागरिकों ने सीएम तक यह बात पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया है।
हम बात कर रहे हैं शहर को हाईवे से जोड़ने वाले पचपेड़िया मार्ग की। हर कदम जोखिम भरा है। जनतंत्र के पहरूए सो गए हैं। डेढ़ किमी की यात्र दुरूह है। बड़ों को छोड़िए, बच्चों का भी चलना मुहाल है। उनकी चहलकदमी कुछ दूर के लिए अचूक सावधानी और भय में तब्दील हो जा रही है। वाहन,पैदल, साइकिल किसी से भी यह राह आसान नहीं है। बच्चों के लिए तो रोज चलना मजबूरी है। क्योंकि शहर के प्रतिष्ठित स्कूल इसी मार्ग पर है। हे भगवान,अब आप ही इन्हें बचाए। कब, कहां, कौन गिरकर चोटिल हो जाए और ड्रेस कीचड़ से सराबोर होकर बदरंग हो जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
अंग्रेजी माध्यम के दो माध्यमिक स्तर की शैक्षणिक संस्थाएं और एक महिला डिग्री कालेज इसी मार्ग पर हैं। दोनों तरफ नालियां क्षतिग्रस्त और खुली है। पानी का बहाव सड़क पर होता है। सड़क पर गड्ढों की भरमार है।
2015 में खर्च हुए थे अस्सी लाख: वर्ष 2015 में इस सड़क पर अस्सी लाख खर्च किए गए। छह महीना भी यह सड़क बरकरार नहीं रही। गुणवत्ता पर सवाल उठे, जांच कराई गई। लेकिन समय बीतने के साथ मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कार्रवाई की जद में आए ठेकेदार, जेई तथा एई । अवर अभियंता का तर्क है कि जमीन का सतह काफी नीचे है। इस नाते तारकोल की सड़क यहां टिकती नहीं है।