डायट की लापरवाही से प्रशिक्षुओं के 68.75 लाख फंसे
जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण लेने वाले करीब 550 प्रशिक्षुओं का वजीफा तकनीकी कारण से फंस गया है। अब इसको लेकर जहां एक और प्रशिक्षु परेशान हैं वहीं दूसरी ओर डायट लापरवाह कर्मचारी को चिह्नित नहीं कर पा रहा। डायट व समाज कल्याण विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।...
जासं, कौशांबी : जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण लेने वाले करीब 550 प्रशिक्षुओं का वजीफा तकनीकी कारण से फंस गया है। अब इसको लेकर जहां एक और प्रशिक्षु परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर डायट लापरवाह कर्मचारी को चिह्नित नहीं कर पा रहा। डायट व समाज कल्याण विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
डायट में तीन बैच के प्रशिक्षु प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनकी संख्या करीब 550 है। सभी प्रशिक्षुओं को हर साल दस हजार रुपये फीस के रुप में जाम करना होता था। इसके बदले समाज कल्याण विभाग से प्रतिपूर्ति के रूप में 10 हजार व वजीफे के रूप में ढाई हजार उनके खाते में आते थे। इस बार यह धनराशि अधर में लटक गई है। यह गड़बड़ी डायट की लापरवाही से हुई है। डायट को प्रत्येक प्रशिक्षु का मास्टर डाटा 15 अगस्त से विभाग की साइट पर अपडेट करना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जब समय बीत किया तो डायट ने इसके लिए प्रयास शुरू किया। अब तकनीकी कारण से प्रशिक्षुओं का वजीफा फंस गया है। सरकारी संस्थान होने के कारण समाज कल्याण विभाग इसके लिए अब अलग से पैरवी कर रहा है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार :
मास्टर डाटा 30 जुलाई तक अपडेट होना था। बाद में विभाग ने समय सीमा में विस्तार करते हुए 15 अगस्त कर दिया। इसके बाद भी डायट ने प्रशिक्षुओं को डाटा अपडेट नहीं किया। इसके कारण प्रशिक्षुओं का वजीफा अभी तक नहीं आ सका। प्रयास किया जा रहा है, लेकिन सफलता को लेकर आश्वासन नहीं दिया जा सकता।
-सुधीर कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी, कौशांबी डाटा फीडिग नहीं किसी अन्य तकनीकी कारण से वजीफा नहीं आ पा रहा। इसके लिए किसी कार्मचारी को दोषी नहीं कहा जा सकता। प्रयास जारी है, सभी को वजीफा मिलेगा।
- एसके सिंह, प्रभारी प्रचार्य डायट संस्कृत प्रशिक्षण का नहीं मिला भत्ता
जासं, कौशांबी : संस्कृत भाषा को व्यवहार में लाने के लिए जिले भर के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को डायट में पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था। इस प्रशिक्षण में आने वाले शिक्षकों को करीब नौ माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी डायट से भत्ता नहीं दिया गया। अब इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने भत्ता दिए जान की मांग डायट से शुरू कर दी है।
दिसंबर 2018 में संस्कृत वाग्व्यवहार प्रशिक्षण डायट में शुरू किया गया था। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के सहयोग से संचालित इस कार्यक्रम में हर ब्लाक के शिक्षकों को पांच-पांच दिनों के लिए डायट में बुलाया गया। उनको प्रशिक्षित किया गया कि वह स्कूल में संस्कृत के बोलचाल को बढ़ावा दें। दो बैच में करीब 100 शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया था। इस प्रशिक्षण में आने वाले शिक्षकों को डायट की ओर से यात्रा भत्ता विद्यालय की दूरी के अनुसार देना था। शिक्षकों से यात्रा बिल तो प्रशिक्षण समाप्ति के दौरान ही ले लिया गया, लेकिन अब तक उन्हें इसका भुगतान नहीं किया गया। अब इसको लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ के अनिल सिंह ने आवाज उठाई है। उन्होंने डायट प्राचार्य को पत्र देकर शिक्षकों को भत्ता दिए जाने की मांग की है