दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के लिए अपाहिज हुआ सिस्टम
जासं, हरदोई : सिस्टम की विकलांगता दिव्यांग बच्चों की शिक्षा में सबसे बड़ी रुकावट बन रही है। मूक-बधिर और नेत्रहीन बच्चों को शिक्षा की धारा से जोड़ने का कैंप फाइलों के चक्कर लगा रहा है। एक अगस्त से कैंप की शुरुआत के पहले परियोजना ने देरी से पत्र जारी किया और अब अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। कैंप का समापन 31 मार्च को होना है लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत तक नहीं हो सकी है। ऐसे में दो माह फाइलों में ही खत्म हो गए।
सर्व शिक्षा अभियान में समेकित शिक्षा के अंतर्गत दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जाती है। इसमें नेत्रहीन और मूक-बधिर बच्चों के लिए विशेष कैंप संचालित किया जाता है। एक्सीलेरेटेड लर्निग कैंप में 60 बच्चों को आवासीय शिक्षा दी जाती है। इसमें 24 नेत्रहीन और 36 मूक-बधिर बच्चों को रखा जाता है। वैसे तो हर वर्ष कैंप का संचालन होता है, लेकिन इस वर्ष देरी से इसकी प्रक्रिया शुरू हुई।
जुलाई के अंतिम सप्ताह में राज्य परियोजना निदेशालय से जारी आदेश में एक अगस्त से इसकी शुरुआत की बात कही गई। एक अगस्त तो दूर, सितंबर समाप्त होने जा रहा है और अभी तक न कैंप शुरू हो सका और न ही बच्चों के प्रवेश पूरे हुए हैं।
खाते में पड़ी धनराशि: दिव्यांग बच्चों के इस खास कैंप के लिए राज्य परियोजना निदेशालय से 18,01,528 रुपये जारी किए हैं। इस धनराशि से कर्मचारियों के मानदेय से लेकर बच्चों के खाना-कपड़ा, दवा आदि सभी जरूरत की सामग्री खरीदी जानी है। धनराशि खाते में पड़ी है और जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दिव्यांग शिविर में मौजूद बच्चों की प्रतीकात्मक फोटो ’ जागरण
कैंप संचालन की प्रक्रिया पूरी हो रही है। शैक्षिक स्टाफ की भर्ती भी हो चुकी है। बच्चों के खाने का टेंडर फर्म से लेना था। शुरू में फर्म ने रुचि नहीं ली। अब फर्म आगे आई हैं, टेंडर के अनुसार खाने का ठेका देकर इसकी शुरुआत करा दी जाएगी।
बैजनाथ सिंह, सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी