नकल पर नकेल लगी मगर गुणवत्ता अभी भी दूर
आशीष त्रिवेदी । नकल के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले यूपी बोर्ड की पहचान पिछले ढाई वषों में बदल गई है। यही कारण है कि पिछले वर्ष हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा से 10.48 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की उपस्थिति और विद्यार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं की मानीटरिंग के लिए प्रेरणा एप लांच किया गया है, मगर इसे अमली जामा पहनाने में छींके आ रही हैं। प्राइमरी व पूर्व माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को स्वेटर देने की व्यवस्था की गई। माध्यमिक स्कूलों में तो शिक्षकों की बॉयोमीटिक उपस्थिति दर्ज हो रही है, मगर इसे विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में अभी लागू नहीं किया गया।
शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के करीब 33 फीसद पद खाली हैं। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 2182 पदों में से 691 पद खाली हैं। राजकीय डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के 867 पद और एडेड डिग्री कॉलेजों में 4320 पद खाली हैं। यही हाल राजकीय इंटर कॉलेजों में 95 फीसद प्राचार्यों के पद खाली हैं और शिक्षकों के 80 फीसद पद खाली हैं। एडेड स्कूलों में शिक्षकों के 40 हजार पद रिक्त हैं। विश्वविद्यालयों में बेहतर रिसर्च नहीं हो पा रहा। प्राविधिक शिक्षा में इंजीनियरिंग कॉलेज और पॉलीटेक्निक संस्थान आज भी पसंद नहीं बन पा रहे। इन संस्थानों में आधे से अधिक सीटें खाली हैं।
’>>193 नए राजकीय इंटर कॉलेजों में पढ़ाई शुरू हुई
’>>55 नए राजकीय इंटर कॉलेज निर्माणाधीन हैं
’>>सहारनपुर और आजमगढ़ में दो नए राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं
’>>51 नए राजकीय डिग्री कॉलेजों का निर्माण किया जा रहा है
’>>पॉलीटेक्निक संस्थानों की संख्या 526 से बढ़कर 1325 हुई
’>>19 नए राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोले गए