प्रधानाध्यापक अब फर्जी बच्चों का नाम लिखकर नहीं बढ़ा पाएंगे संख्या
प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में बच्चों की फर्जी संख्या अंकित कर एमडीएम, ड्रेस, स्वेटर में खेल करने वाले प्रधानाध्यापकों पर शिकंजा कसने के लिए अब विभाग ने उन बच्चों का आधार कार्ड बनाने का फैसला लिया है, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। शासन की ओर से विभाग को 34 मशीनें मिल गई हैं, मिडिल स्कूलों में तैनात कंप्यूटर के जानकार अनुदेशकों को आधार कार्ड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में नामांकित 2,45,685 बच्चों में से 85,123 का अभी तक आधार कार्ड नहीं बना है। इसके पीछे वजह यह है कि बैंक और डाकघर में बच्चों का आधार कार्ड नहीं बनाया जा रहा है। यह कहना स्कूलों के हेडमास्टरों का है। जबकि बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों के लिए आधार को आवश्यक कर दिया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने अब स्कूल में पढ़ने वाले ऐसे बच्चे जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनका स्कूल में ही आधार कार्ड बनाया जाएगा। शासन ने विभाग को 34 मशीनें मुहैया कराया है। 17 विकास खंडों में दो-दो मशीनों को भेजकर आधार कार्ड बनाया जाएगा। कार्ड बनाने के लिए मिडिल स्कूलों में तैनात कंप्यूटर अनुदेशकों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। विभाग की इस पहल से बच्चों की संख्या में खेल करने वाले हेडमास्टरों की कलई खुल सकती है।
अप्रैल में नाम नहीं, तो दाखिल नहीं
फर्जीवाड़े पर विराम लगाने के लिए आगामी नए शिक्षासत्र अप्रैल से उन्हीं बच्चों का नाम स्कूल में लिखा जाएगा, जिनके पास आधार कार्ड होगा। अगर आधार कार्ड नहीं है, तो स्कूलों में नाम नहीं लिखा जाएगा। हालांकि विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था करके स्कूल आने वाले बच्चों का आधार कार्ड भी बनवाएगा।
बच्चों का नाम नहीं, अब आधार होगा पहचान
विभागीय योजनाओं का लाभ लेने वाले बच्चों को अब नाम से नहीं, बल्कि आधार से पहचान होगी। एमडीएम, ड्रेस, स्वेटर, जूता, मोजा के लिए अब बच्चों का नाम नहीं लिखा जाएगा, बल्कि आधार नंबर ही पर्याप्त होगा।
स्कूलों में नामांकित बच्चों के लिए आधार आवश्यक कर दिया गया है। जिन बच्चों का आधार नहीं बना है, उनका आधार अब स्कूल में ही बनेगा। अगले माह से यह अभियान प्रारंभ कर दिया जाएगा। - अशोक कुमार सिंह, बीएसए