अफसरों की चौखट नाप रहे लोक शिक्षा प्रेरक
संवादसूत्र, बाराबंकी : जिले के 19 सौ लोक शिक्षा प्रेरकों का 11 करोड़ 40 लाख रुपये मानदेय बाकी है। यह मानदेय प्रेरकों को नहीं दिया गया है। बीते एक वर्ष से अपने मानदेय के लिए अफसरों की चौखट नाप रहे हैं। बुधवार को भी लोक शिक्षा प्रेरकों ने फिर से डीएम के पास पहुंचकर मानदेय दिलाए जाने की मांग की है।
साक्षरता कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान वर्मा के नेतृत्व में बुधवार को लोक शिक्षा प्रेरकों ने मानदेय दिलाए जाने की मांग को लेकर सीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा है। प्रेरकों ने मांग की है कि 30 माह का मानदेय बकाया दिलाया जाए। प्रेरकों की अविलंब सेवा बहाली की जाए। इस मौके पर विष्णु प्रताप सिंह, सतेंद्र यादव, विजय सिंह, आनंद कुमार, अकमल खान, जितेंद्र मिश्र, इंद्रजीत, अखिलेश कुमार, रामगोपाल, राम प्रकाश, सीमा देवी, दिनेश समेत काफी संख्या में लोक शिक्षक मौजूद रहे।
सेवा समाप्ति के बाद साक्षर बनने से रह गए डेढ़ लाख निरक्षर
ग्राम पंचायतों में लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी। मकसद था कि 15 वर्ष के ऊपर के निरक्षरों को पढ़ाया जाए और साक्षर बनाकर प्रमाणपत्र दिया जाए। ताकि कोई अंगूठा टेक न रह सके। जिले में 1900 लोक शिक्षा प्रेरक रखे गए। लगभग ढाई लाख निरक्षरों को साक्षर बनाकर प्रमाणपत्र दिया गया। 31 मार्च 2018 को सभी लोक शिक्षा प्रेरकों की सेवा समाप्त कर दी गई, जिससे डेढ़ लाख निरक्षर-साक्षर नहीं बन सके हैं।
प्रत्येक शिक्षा प्रेरक को दो हजार रुपये प्रति माह देना था। 30 माह का बकाया मानदेय बेसिक शिक्षा विभाग ने नहीं दिया। प्रेरकों का कहना है कि नौकरी भी छीन ली गई और मानदेय भी नहीं दिया गया।
बुधवार को डीएम को ज्ञापन देते लोक शिक्षा प्रेरक ’ जागरण