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बलरामपुर : लुभा रहा स्कूल का दर..सिखा रही दीवारें

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लुभा रहा स्कूल का दर..सिखा रही दीवारें


नीति आयोग ने जिले के शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास बाद में शुरू किया लेकिन सदर शिक्षा क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय हृदयनगर इसके लिए पहले से अपनी भूमिका अदा कर रहा है। यहां शिक्षक मोबाइल लैपटॉप पर गीतों एवं कहानी कविताओं व थी-डी मनौवल में जुटे हैं।...

बलरामपुर :

यहां आने के नाम पर कभी बच्चे कन्नी काटते थे। अधिकतर अभिभावक भी अपने बच्चों को यहां भेजने से कतराते थे। बदहाली के पुराने दाग पर नवाचार का रंग चढ़ा तो नजारा ही बदल गया। अब इस स्कूल का दर बच्चों को लुभा रहा है और यहां की दीवारें उन्हें सिखा रही हैं।

बदहाली के लिए बदनाम परिषदीय स्कूलों के बीच प्राथमिक विद्यालय हृदयनगर अब एक नजीर बनकर उभर चुका है। यहां के शिक्षक मोबाइल और लैपटॉप पर गीत, कहानी, कविताओं सहित थ्रीडी माध्यम से शिक्षा को रोचक बना रहे हैं। इसी की देन है कि 263 नामांकन होने के बाद भी अभिभावक बच्चों का दाखिला कराने को शिक्षकों की मान-मनौवल में जुटे हैं। इसी नवाचार के लिए यहां के प्रधानाचार्य ब्रजेश कुमार द्विवेदी को मिशन शिक्षण संवाद के तहत सिद्धार्थनगर के कपिलवस्तु में सम्मानित भी किया जा चुका है। ऐसे बदली तस्वीर

वर्ष 2014 में प्राथमिक विद्यालय हृदयनगर में 98 बच्चों का नामांकन था। विद्यालय में शिक्षामित्र रंजना मिश्रा की तैनाती थी। इसी वर्ष प्रधानाध्यापक ब्रजेश कुमार द्विवेदी की तैनाती हुई। उन्होंने नवाचार के जरिए स्कूल की सूरत बदलने की पहल की। साउंड सिस्टम से सरस्वती वंदना, नीम के सींक से संख्याओं की जानकारी देना शुरू किया। दीवारों पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, वैज्ञानिक व उनके आविष्कार, सौरमंडल, प्रकाश संश्लेषण, ज्ञानेंद्रियां, सूर्यग्रहण वर्णमाला आदि के फ्लैक्स लगवाए। नवाचार से खेल-खेल में बच्चों को ककहरा सिखाया। बच्चों की संख्या बढ़ने पर शिक्षक शैलजा सैनी, साजिया बानो और सुशील उपाध्याय की तैनाती हुई। 2015 में 122, 2016 में 166, 2017 में 212 व 2018 में बच्चों की संख्या 256 पहुंच गई। यह है खासियत :

-विद्यालय की दीवारों पर की गई वॉल पेंटिग वैज्ञानिकों व महापुरुषों से बच्चों को रूबरू कराती हैं। खेल-खिलौने, क्राफ्ट, चित्रकारी, रंगोली व सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता कराकर बच्चों को रोचक शिक्षा दी जाती है। बागवानी से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की सीख भी दी जाती है। शिक्षकों के आपसी सहयोग से बच्चों को टाई-बेल्ट व परिचय पत्र दिया जाता है।

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