अब कमजोर छात्रों को सीधे नहीं निकालेगा आइआइटी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : पढ़ाई में कमजोर किसी भी छात्र को आइआइटी अब सीधे एक ही झटके में बाहर का रास्ता नहीं दिखाएगा। बल्कि उसे भविष्य की दूसरी राहें चुनने के विकल्प के साथ सम्मानजनक विदाई दी जाएगी। जिसमें उन्हें कम से कम स्नातक स्तर की कोई डिग्री या डिप्लोमा देकर ही विदा किया जाएगा। इसके लिए सभी आइआइटी को अपने स्तर पर निर्णय लेने और पाठ्यक्रम तय करने की स्वतंत्रता दी गई है।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई आइआइटी काउंसिल की सालाना बैठक के एजेंडे में वैसे तो कुल 32 ¨बदुओं को शामिल किया गया था, लेकिन कई ¨बदुओं को अंतिम समय में एजेंडे से हटा दिया गया। इनमें आइआइटी को आइआइएम जैसी स्वायत्तता देने और फीस तय करने के अधिकार जैसे मुद्दे शामिल थे। काउंसिल ने इस दौरान पढ़ाई में कमजोर छात्रों के मुद्दे पर यह भी साफ किया कि यह प्रक्रिया सेकेंड सेमेस्टर के बाद ही अपनाई जाएगी। बता दें कि काउंसिल के सामने रखे गए एजेंडे में ऐसे छात्रों को बीएससी इंजीनियरिंग की डिग्री देने का प्रस्ताव था पर इसे लेकर सहमति नहीं बन पाई।
काउंसिल की बैठक में इस दौरान जिन अहम मुद्दों को लेकर सहमति बनी, उनमें वैश्विक रैंकिंग तैयार करने वाले संस्थानों में भारतीय प्रतिनिधित्व को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा छात्रवास सुविधाओं में सुधार और जीर्ण-शीर्ण छात्रवासों के पुनर्निमाण के लिए अभियान शुरू किया जाएगा। इसके लिए हेफा से वित्तीय मदद भी दी जाएगी। इनमें से कुछ बदलावों में पीपीपी मॉडल पर लागू करने पर भी सहमति दी गई है।
’>>आइआइटी काउंसिल की बैठक में लिया गया फैसला
’>>स्वायत्तता और फीस जैसे मुद्दों पर नहीं हुई कोई चर्चा