‘हाजिरी’ व ‘नामांकन’ में गुम हुई पढ़ाई
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में ड्रेस, किताब, मिडडे मील, जूता-मोजा और स्वेटर आदि वह सब मिल रहा, जिसकी छात्र-छात्रओं को जरूरत है। परिषद के डेढ़ लाख से अधिक स्कूलों में यह सारा जतन पढ़ाई के लिए हो रहा है, लेकिन, वह तय पाठ्यक्रम के हिसाब से नहीं हो रही है। वजह महकमे के अफसर स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और छात्र व शिक्षकों की हाजिरी जांचने में ही पूरा जोर दे रहे हैं। जिन पर पढ़ाने व पढ़ाई को बेहतर बनाने का जिम्मा है वे सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुटे हैं।
परिषदीय स्कूलों की बेहतरी के लिए सरकार हर माह करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। जुलाई की जगह अप्रैल से शैक्षिक सत्र इसीलिए शुरू कराया गया, ताकि बच्चों को ग्रीष्मावकाश में पाठ्यक्रम के मुताबिक गृह कार्य दिया जा सके, ताकि वे सतत पढ़ाई करते रहे। इसके बाद भी इस वर्ष का शैक्षिक कैलेंडर 29 जून को जारी हो सका। यानी अप्रैल से लेकर 20 मई तक स्कूलों में सिर्फ खानापूरी हुई। इतना ही नहीं विद्यालयों में किताबें तक नहीं मिल सकी थीं। विभागीय अफसरों ने एक जुलाई से स्कूल चलो अभियान चलाकर बच्चों का अधिकाधिक दाखिला कराने का निर्देश दिया। यह कार्य सितंबर माह तक जारी रहा है। स्कूल खुलने के छह माह बाद प्रवेश लेने वाले बच्चे आखिर क्या पढ़ाई कर रहे होंगे? प्रदेश सरकार ने छात्रों व शिक्षकों की हाजिरी जांचने के लिए प्रेरणा एप शुरू किया है। इसके पहले 2017 में कक्षा शिक्षण में सहयोग के लिए ईक्षा एप शुरू किया गया। सह समन्वयकों को माह में कम से कम 20 कक्षावलोकन का आदेश हुआ। एक साल बाद 16 अक्टूबर तक सूबे के 13 जिलों में सह समन्वयकों ने इसका उपयोग तक नहीं किया। यही नहीं तमाम सह समन्वयकों ने इस एप के जरिए कक्षा शिक्षण में सहयोग करने की जगह सिर्फ रस्म अदा की। इसीलिए अफसरों ने जब एप की मॉनीटरिंग की तो हैरत में पड़ गए, क्योंकि कई सह समन्वयक स्कूलों में कुछ सेकेंड ही रुके। सवाल है कि आखिर कुछ सेकेंड में उन्होंने कक्षाओं में क्या देखा होगा या फिर क्या निर्देश दिए होंगे? ऐसे सह समन्वयकों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया।
’ बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में छह माह तक चलता रहा नामांकन
’ईक्षा एप से स्कूलों की मॉनीटरिंग का था निर्देश, कई जिलों में अनुपालन नहीं