बिना गुणवत्ता की जांच के स्कूलों में बंट रहे बैग
जासं, हरदोई: वाह रे सिस्टम। टेस्टिंग हुई नहीं और गुणवत्ता सही मान ली गई। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के स्कूली बैग में ऐसा ही हुआ है। बच्चों को दिए जाने वाली बैगों का समिति से सत्यापन कर गुणवत्ता की प्रयोगशाला से जांच कराई जानी थी। अब इसे जिम्मेदारों की सेटिंग मानें या फिर कुछ और, विकास खंडों से भेजे गए नमूने स्टोर में पड़े हैं और बच्चों को बैग वितरित हो चुके हैं।
परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूली बैग दिए जाते हैं। कक्षा एक से दो स्मॉल, तीन पांच मीडियम और कक्षा छह से आठ लार्ज साइज के बैग वितरण होता है। चालू शैक्षिक सत्र में जिले के 2,855 प्राथमिक और 1,026 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले चार लाख 95 हजार 78 बच्चों को स्कूली बैग वितरण होना है। शासन स्तर से ही निर्धारित फर्म में अन्य जिलों के साथ ही हरदोई को भी उन्नाव की फर्म में बैग आपूर्ति की थी।
एसडीएम की अध्यक्षता में खंड विकास अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी की समिति ने सत्यापन कर तीनों साइज से एक-एक नमूना निकालकर उसे सील करने के बाद प्रयोगशाला से जांच के लिए भेज दिया, लेकिन न वह प्रयोगशाला जा पाए और न ही जांच रिपोर्ट आई। हां, बच्चों को बैग वितरित कर दिए गए। जानकारों का कहना है कि यह सब सेटिंग और खानापूर्ति का खेल होता है।
बीएसए कार्यालय में रखे बैग के नमूने ’ जागरण
जांच के नाम पर खानापूर्ति
बैग वितरण में जांच भले ही आवश्यक है, लेकिन अधिकारी इसे जरूरी नहीं मानते। जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता हरिपाल का कहना है कि वितरण और जांच का कोई संबंध नहीं है। प्रयोगशाला में बैग के कपड़ा से लेकर धागा और अन्य सामग्री की जांच होती है। अगर गुणवत्ता में कोई कमी निकलती है तो फर्म के भुगतान से कटौती कर ली जाएगी। सवाल यही है कि अब अगर गुणवत्ता खराब निकलने पर भुगतान में कटौती भी कर ली जाए तो बच्चों को तो खराब बैग मिल गए, इसका किसी के पास जवाब नहीं है।