स्कूल ने तराशी तो चमक उठी बुंदेली किसानी
विमल पांडेय बांदा । एक दौर था जब सूखे बुंदेलखंड में गेहूं-धान की खेती पर आश्रित किसान बिन सिंचाई सूखती फसलों को बर्बाद होते देख तड़पकर रह जाता था। परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे शहर जाकर कमाना ही विकल्प था, पर उत्तर प्रदेश सरकार के एक बेहतर प्रयास ने यहां की तस्वीर ही बदल दी।
किसानों ने कृषि विभाग के ‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल’ में कम सिंचाई वाली कैश क्रॉप (नगदी फसल) की पैदावार के गुर सीखे और आज समृद्धि की फसलें लहलहा रही हैं। पुरुष ही नहीं महिला किसान भी कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं और गृहस्थी की गाड़ी को पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खींच रही हैं।
आम तौर पर खेती-किसानी का कार्य पुरुषों के हाथ में ही रहा है, लेकिन फार्मर्स स्कूल (कृषक विद्यालय) ने इस स्थिति को बदल दिया। फार्मर्स स्कूल में संयुक्त कृषि निदेशक वीके सिंह, जिला कृषि अधिकारी सहित कृषि वैज्ञानिकों ने स्थानीय किसानों, खासकर युवाओं को उन्नत कृषि के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण देना शुरू किया। उन्हें खेतों में रासायनिक खाद का कम इस्तेमाल करने और खेत की सेहत का ख्याल रखते हुए कम लागत में ज्यादा पैदावार करने के तरीके बताए। इन कक्षाओं के साथ ही गांव-गांव चल रही किसान पाठशालाओं और खेतों में प्रायोगिक तौर पर प्रशिक्षण भी दिया गया।
युवाओं में लौट रहा विश्वास..
इस वर्ष पहले चरण में 13 हजार 153 पुरुष किसानों ने प्रशिक्षण लिया, वहीं इनमें 1630 महिलाओं ने खेती के अत्याधुनिक तरीके सीखे। दूसरे चरण में 12 हजार 364 पुरुष किसान शामिल हुए। वहीं महिला किसानों की संख्या 2032 रही। कुल 3662 महिला किसान यहां सीखी कृषि तकनीक को खेत पर आजमा रही हैं और उनके प्रयास रंग भी ला रहे हैं।
इनमें 138 महिला किसान ऐसी हैं, जिन्होंने स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई के बाद कृषि को आजीविका के रूप में चुना। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (नेशनल रूरल लाइवलीहुड्स मिशन, एनआरएलएम) से जुड़ी महिलाओं का लाभ और ज्यादा है, क्योंकि उन्हें आसानी से कृषि यंत्रों से लेकर अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। उप निदेशक कृषि, बांदा एके सिंह ने कहा कि कृषि विभाग कृषि आजीविका को बेहतर बनाने का निरंतर प्रयास कर रहा है। युवाओं, विशेषकर महिलाओं को भी कृषि व्यवसाय को आजीविक के रूप में अपनाने को लगातार प्रेरित किया जा रहा है।
केस-1
बड़ोखर ब्लाक के ¨डगवाही गांव की रहने वाली इंटर पास कमलेश ने खेती से तकदीर बदल डाली है। अपनी 16 बीघा जमीन में से चार बीघा पर सब्जियों की खेती करती हैं, बाकी जमीन पर पति खेती-बाड़ी करते हैं। कमलेश सब्जियों से डेढ़ से दो लाख की सालाना कमाकर परिवार की जरूरतें पूरा करती हैं।
केस-2
कनवारा गांव की इंटर पास राजकुमारी के पति रामखेलावन के पास कुल सात बीघा खेती है। हाड़तोड़ मेहनत पर भी खेती से खास फायदा न मिला तो राजकुमारी ने खेती की कमान संभाल ली। उन्होंने प्याज, ¨भडी और चना आदि की फसल तैयार कर उत्तम खेती की नजीर पेश की। वह भी डेढ़ से दो लाख रुपये सालाना की आमदनी खेती से अर्जित कर रही हैं।
कृषि कार्य में जुटीं स्थानीय महिलाएं ’ जागरण