आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं दिखे बच्चे, प्रभारी नदारद
सर्वेश धर द्विवेदी ’ जोगिया, सिद्धार्थनगर
बाल विकास परियोजना के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की एक ही कहानी है। वहां न बच्चे हैं न ही केंद्र प्रभारी। वितरित होने वाला पोषाहार पशु आहार में तब्दील हो चुका है । केंद्र संचालन के लिए भवन की हालत भी बदहाल है। यह आए दिन मौत को दावत दे रहे हैं। कर्मचारी केंद्रों पर कभी -कभार ही पहुंच रहे हैं। नतीजतन केंद्रों पर आए दिन ताला ही लटकता दिखाई देता है। सोमवार को जागरण की पड़ताल में कई खामियां उभर कर सामने आईं।
समय 8.30 केंद्र तरकुलहा
ग्राम पंचायत हरैया के तरकुलहा गांव में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र का भवन जर्जर हालत में है। दरवाजा खुला था कुर्सी एक तरफ फेंकी हुई थी। पास में ही तीन चटाई पड़ी थी। दरवाजे भी टूटे हैं। तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता धर्मशीला मौजूद नहीं थीं। पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि केंद्र कभी संचालित नहीं होता है। न ही बच्चों को पोषाहार ही दिया जाता है।
समय 8:50 केंद्र छोटकी हरैया
ग्राम पंचायत हरैया के टोला छोटकी हरैया में संचालित केंद्र पूरी तरह जर्जर हालत में है। दरवाजा टूटा है फर्श और छत भी कई जगह से टूट चुका है। एक कमरे में ताला लगा हुआ था आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमन सिंह मौके पर नहीं मिलीं। न ही केंद्र पर कोई बच्चा ही नजर आ रहा था। पास में मौजूद गांव के कुछ लोगों ने बताया कि केंद्र आए दिन बंद ही रहता है। यहां बच्चों की पढ़ाई नहीं होती है।
समय 9 बजे केंद्र बड़की हरैया
ग्राम पंचायत हरैया के ही टोला बड़की हरैया में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र बंद मिला। बाहर पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति की गाय खूंटे में गाय बंधी थी।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद गायब रहे। बच्चे भी नहीं दिखाई दिए
समय 9:15 केंद्र सिरसिया
ग्राम पंचायत नगरा के टोला सिरसिया में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में भवन विहीन आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया जाता है। विद्यालय के करीब निवास कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता माया देवी अक्सर गायब रहती हैं। निवास पर जाकर उनसे मुलाकात करते हुए केंद्र में नामांकित बच्चों के बारे में जानकारी ली गई तो बताया कि केंद्र में 70 बच्चे नामांकित हैं। घर पर काम के कारण अभी तक केंद्र पर नहीं जा पाई। मौके पर एक भी बच्चे नहीं पाए गए ।
जागरण संवाददाता, डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर : ब्लाक क्षेत्र में इन दिनों बाल विकास परियोजना से जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हो रहा है। अव्यवस्था पूरी तरह से हावी है। करीब पंद्रह-पंद्रह, बीस-बीस किलोमीटर दूर से आने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूरे-पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर प्रशिक्षण ले रही हैं, भोजन, पानी तो दूर इनके बैठने तक का इंतजाम भगवान भरोसे है।
कार्यकर्ताओं को हाइटेक करने के लिए मोबाइल प्रशिक्षण चल रहा है। 10 से चार बजे तक प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए दूर-दूर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आ रही हैं। जिसके लिए यहां पर कोई सुविधा नहीं है। उमस भरी गर्मी में आंगनबाड़ी पसीने में तर दिखाई दी। न पंखे की व्यवस्था, न ही भोजन-पानी की। टाट पर बैठ किसी तरह यह प्रशिक्षण पूरा कर रही हैं। यही नही विभाग द्वारा उन्हें मिले दस प्रतिशत मोबाइल फोन भी अभी से खराब हो गए हैं। 20 किमी दूर भानपुर रानी से आने वाली प्रियंका देवी, 25 किमी दूर हिसामुद्दीन पुर की पुष्पा देवी, 21 किमी दूर कारेखूट से आने वाली बीना देवी का कहना है कि यहां तक आने के लिए कोई सुलभ सेवा नहीं है। प्राइवेट साधन या निजी वाहन ही सहारा हैं। प्राइवेट साधनों से आने हेतु भी दो से तीन जगह उन्हें बदलना पड़ता है।
सीडीपीओ ने कहा : बाल विकास परियोजना अधिकारी रोमा सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण स्थानीय ब्लाक सभागार में लगभग एक पखवारे से चल रहा था, सोमवार को ब्लाक में कार्यक्रम आयोजित हो जाने के कारण बीआरसी में कराना पड़ा। जिसके कारण कुछ अव्यवस्था जरूर हुई है, जिसमें कल से सुधार करा दिया जाएगा।
तरकुलहा गांव में संचालित जजर्र आंगनबाड़ी केंद्र ’ जागरण
बदहाल आंगनबाड़ी केंद्र ’ जागरण
आंगनबाड़ी केंद्र पर बिखरा सामान व खुला दरवाजा ’ जागरण
कभी- कभी खुलते हैं आंगनबाड़ी केंद्र, नहीं बंटता पोषाहार, कई भवनों की हालत जर्जर, बच्चों के सिर पर बना रहता है खतरा
’>>विभाग के दिए गए मोबाइल में से दस फीसद अभी से हुए खराब
’>>गर्मी में पसीने से तर-बतर दिखीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
आंगनबाड़ी केंद्रों का मौके पर जाकर जांच किया जाएगा कार्यकर्ता व सहायिका केंद्रों के संचालन में लापरवाही करतीं हैं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाही की जाएगी ।
निर्भय सिंह, सीडीपीओ जोगिया