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लखीमपुर खीरी: जंगली जानवरों से डर-डर कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं नौनिहाल

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जंगली जानवरों से डर-डर कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं नौनिहाल


अभी तक भवन नही बन पाया है। पहले यह स्कूल झोपड़ी में प्रारंभ हुआ था पर आज टीन शेड है। स्कूल भवन न बन पाने का कारण यह है कि जिस जगह पर विद्यालय का भवन प्रस्तावित है वन विभाग उसे अपना बताकर बनने नही दे रहा है।...

लखीमपुर: प्राथमिक विद्यालय बाजपुर एक ऐसा स्कूल है जहां पर देश के नौनिहाल जंगली जानवरों से डर-डर कर शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां स्कूल का भवन नहीं है। शौचालय और रसोईघर भी नहीं है। बच्चे शौच के लिए जंगल में जाते हैं और एमडीएम एक ग्रामीण के घर से बन कर आता है। अलबत्ता स्कूल के नाम पर बने टीन शेड में दो शिक्षकों की नियुक्ति है जो बच्चों को पढ़ाते हैं।

पलिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत लगदहन के मजरा बाजपुर गांव में प्राथमिक विद्यालय तो है जहां पर बच्चे पढ़ते भी हैं पर यहां स्कूल भवन नहीं है। स्कूल के प्रधानाचार्य इंद्रपाल कहते है कि विद्यालय सन 2011 से अस्तित्व में है पर अभी तक भवन नही बन पाया है। पहले यह स्कूल झोपड़ी में प्रारंभ हुआ था पर आज टीन शेड है। स्कूल भवन न बन पाने का कारण यह है कि जिस जगह पर विद्यालय का भवन प्रस्तावित है वन विभाग उसे अपना बताकर बनने नही दे रहा है। रसोई न होने के कारण बच्चों का एमडीएम पड़ोस के एक फार्म पर बनवाकर दिया जाता है। विद्यालय गन्ने के खेत व जंगल से चारों ओर से घिरा है। यहां हर समय बच्चों व शिक्षकों पर जंगली जानवरों का भय बना रहता है। बाजपुर गांव के इधर उधर पलिया रेंज के परसपुर, लगदहन का जंगल है जिसमें बाघ, तेंदुआ सहित अन्य जंगली जानवरों की चहलकदमी बनी रहती है। विद्यालय में 90 छात्र छात्राएं नामांकित है। क्या कहते हैं अधिकारी

खंड शिक्षाधिकारी ओंकार सिंह ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय बाजपुर का निर्माण वन विभाग ने रोक रखा है जिसके कारण विद्यालय भवन आदि का निर्माण नहीं कराया जा सका है और इसका मुद्दा कुछ दिन पूर्व जिलाधिकारी की मीटिग में भी उठा चुका हूं।

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