बेजोड़ है प्राथमिक शिक्षा का बलिया मॉडल
सुधीर तिवारी ’ बलिया । नो बैग डे, स्पोर्ट्स ड्रेस, टीचर-पैरेंट्स मीटिंग और डायनिंग हॉल जैसी सुविधाओं व व्यवस्थाओं की किसी सरकारी स्कूल से अपेक्षा नहीं की जा सकती है। यह तो कान्वेंट कल्चर का मसला मान लिया जाता है। इसके उलट उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक प्राथमिक विद्यालय की सुविधाएं एक बारगी कान्वेंट स्कूल से भी बेहतर दिखती हैं। प्रधानाध्यापक उमेश सिंह के प्रयासों से बलिया जिले के नवीन प्राथमिक विद्यालय करमपुर में बुनियादी शिक्षा का ऐसा वातावरण बना, जो दूसरों के लिए आदर्श है।
कुछ नया करने की सोच का ही परिणाम है कि छोटा कैंपस, कम संसाधन, महज दो अध्यापक और एक शिक्षामित्र होने के बावजूद विद्यालय की पठन-पाठन व्यवस्था काफी बेहतर है। तभी तो लोग कान्वेंट की बजाय अपने बच्चों को इस सरकारी स्कूल में भेजते हैं। हर छात्र की डायरी बनी हुई है, जिसमें पूरे वर्ष का रिकॉर्ड रखा जाता है। क्लास वर्क की कापियां विद्यालय में ही रहती हैं, वह भी प्रधानाध्यापक ने उपलब्ध कराया है। यहां बच्चे गैरहाजिर होना ही नहीं चाहते। बच्चों के स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल किट है।
जमीन पर बैठकर नहीं करते भोजन: विद्यालय की खूबी यह भी है कि यहां नीचे बैठ कर बच्चे एमडीएम का भोजन नहीं करते। उनके लिए बाकायदा एक अलग कमरे में भोजनालय बना है। उसमें सीमेंट की ही इस तरीके से बेंच बनी है कि एक-दूसरे की तरफ मुंह करके बच्चे खाना खा सके। बेंच पर एक साथ भोजन कर रहे बच्चों के चेहरे पर भी एक अलग ही खुशी थी। इस बेंच का प्रयोग अभिभावकों संग होने वाली बैठकों में भी हो जाता है।
हर बुधवार व शनिवार को नो-बैग डे: विद्यालय में एक अलग पहल यह भी है कि यहां हर बुधवार व शनिवार को नो-बैग डे होता है। प्रधानाध्यापक की पहल पर ही विद्यालय में बच्चों को स्पोर्ट्स ड्रेस भी दी गई है, जो नो-बैग डे के दिन पहनकर आना होता है। खेल-खेल में सीखने की परम्परागत विधियां इस स्कूल को सबसे अलग बनाती है।
खेलकूल, योग और स्काउट ज्ञान पर ध्यान : विद्यालय में खेलकूद का भी अच्छा माहौल है। शतरंज में तो यहां के कुछ बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से काफी बेहतर हो चुके हैं। चूंकि प्रधानाध्यापक उमेश सिंह का खेल से पुराना लगाव रहा है, लिहाजा खेल विधि से भी बच्चों के विकास में वे पीछे नहीं हटते। इसके अलावा योग, स्काउट ज्ञान के साथ स्वच्छता पर भी उनका विशेष ध्यान रहता है। स्वच्छता के विभिन्न आयामों की जानकारी बच्चों में दिखी।