अब पढ़ाने जाएंगे शिक्षक बीईओ पर बढ़ेगा बोझ
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर: बेसिक शिक्षा विभाग ने सह समन्वयक व न्याय पंचायत समन्वयक का पद समाप्त होने का फरमान गुरुवार को जारी कर दिया है। 2001-02 में सर्व शिक्षा अभियान प्रारंभ होने पर प्रत्येक ब्लॉक संसाधन केंद्र पर शिक्षकों में से ही एक समन्वयक व एक सह समन्वयक की नियुक्ति की जाती थी।
2010-11 में खंड शिक्षा अधिकारी को पदेन समन्वयक बनाकर गणित, अंग्रेजी , विज्ञान , सामाजिक विषय व हंिदूी विषय के पांच सह समन्वयकों की व्यवस्था थी। इनका चयन विभागीय परीक्षा लेकर शिक्षकों के बीच से ही किया जाता था।
मुख्य कार्य विद्यालयों में अपने विषय से संबंधित शैक्षिक अनु समर्थन प्रदान करना था। यह सभी बीईओ के अंग माने जाते थे। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अधिकांश सह समन्वयक अपने मूल दायित्व से हटकर सिर्फ सूचनाओं के संकलन तक सीमित रह गए थे। न्याय पंचायत समन्वयक का कार्य मुख्य रूप से विद्यालय स्तर से सूचनाओं को संकलित कर बीआरसी पर पहुंचाना था।
बीईओ कार्यालय में सिर्फ एक कंप्यूटर ऑपरेटर व एक लेखाकार आउटसोर्सिंग द्वारा कार्यरत हैं। विभाग का मानना है कि एनपीआरसी का पद समाप्त होने से बीईओ के लिए सूचनाओं को जुटाने में दिक्कत होगी। प्रत्येक एनपीआरसी को प्रति वर्ष 16 से 22 हजार भत्ता मिलता रहा है।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक नसीम अहमद ने कहा कि एसएसए ने सहसमन्वयक व एनपीआरसी के पदों की संकल्पना की है। इनका पद समाप्त होने व्यवहारिक कठिनाइयां बढ़ेंगी और स्टाफ की समस्या ङोल रहे बीईओ के ऊपर बोझ बढ़ जाएगा।
राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक व पूमाशि संघ के जिलाध्यक्ष अरुणोंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। पहले से चली आ रही व्यवस्थाओं को खत्म करने से समस्या बढ़ेगी और अब शिक्षकों को सूचनाएं बीआरसी तक पहुंचाने के लिए अधिक मशक्कत करनी होगी जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित होगा।
2001 से शुरू की गई थी बीआरसी की व्यवस्था शासन ने पद समाप्त करने का दिया है आदेश