बीएड कॉलेज बायोमीटिक हाजिरी को दिखा रहे ठेंगा
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : बीएड, एमएड, एमपीएड व डीएलएड जैसे कोर्स चला रहे शिक्षण संस्थान बॉयोमीटिक उपस्थिति को ठेंगा दिखा रहे हैं। नया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है लेकिन कहीं भी इसकी व्यवस्था नहीं की गई। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने जुलाई में ही पत्र जारी कर निर्देश दिए थे कि इसे 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से लागू करवाने के निर्देश दिए थे। एनसीटीई ने नियमानुसार विद्यार्थियों के कक्षाओं में न उपस्थित होने और मानक के अनुसार शिक्षक न होने की शिकायतों पर नाराजगी भी जताई थी, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने इसे लागू नहीं किया।
राज्य विश्वविद्यालयों के शिक्षाशास्त्र विभाग व शारीरिक शिक्षा विभाग में ही इसकी व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है। लखनऊ विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली सहित लगभग किसी भी विश्वविद्यालय में इसकी व्यवस्था नहीं हुई। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से अभी किसी राज्य विश्वविद्यालय को इस संबंध में दिशा-निर्देश तक नहीं दिए गए। उप्र विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि एनसीटीई की चिंता वाजिब है। बीएड, एमएड जैसे कोर्स चला रहे संस्थान सिर्फ फीस वसूलने पर ध्यान दे रहे हैं। राज्य विश्वविद्यालय भी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। उधर उप्र स्वावित्तपोषित महाविद्यालय संघ अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि राज्य सरकार एनसीटीई के निर्देश जारी करे, हम तत्काल बॉयोमीटिक उपस्थिति दर्ज करवाने की व्यवस्था करेंगे। प्राइवेट कॉलेजों से इसका विरोध नहीं है।
बीएड, एमएड व एमपीएड कोर्स चला रहे संस्थानों में एनसीटीई की अनिवार्यता के बावजूद नहीं लागू हुई व्यवस्था