तराई क्षेत्र बना फर्जी शिक्षकों का ठिकाना
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : पिछले एक दशक से चल रहे फर्जी शिक्षकों के भर्ती के खेल में भारत-नेपाल का तराई इलाका सबसे मुफीद बना हुआ है। अभी तक सबसे अधिक शिक्षकों की फौज को इन्हीं क्षेत्रों में पकड़ा गया है। जिले में वर्ष 2013 से अब तक 121 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है। मामले की जांच में जुटी एसटीएफ और पुलिस के हाथ अभी तक कुछ बड़ा हाथ नहीं लग सका है। देवरिया जनपद के एक सरगना के पकड़े जाने के बाद भी मास्टर माइंड को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है।
प्रदेश के दर्जनों जिलों में फर्जी दस्तावेजों के सहारे हजारों शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। करीब आठ माह पूर्व जिले के बढ़नी ब्लाक में तैनात एक शिक्षक को गिरफ्तार किया गया था। इसे जनपद में हुए फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड बताया गया। जबकि एसटीएफ अभी तक मास्टर माइंड की तलाश में रात दिन एक किए हुए है।
फर्जीवाड़े की जांच में जुटे एसटीएफ टीम के प्रभारी सत्यप्रकाश सिंह का कहना है कि मास्टर माइंड की तलाश अभी चल रही है। गिरोह का हाथ लंबा है, इस नाते समय अधिक लग रहा है। फर्जीवाड़े में शामिल शिक्षकों ने तराई क्षेत्र से जुड़े सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, महराजगंज को अपना ठिकाना बनाया है। यहां ही सर्वाधिक फर्जी शिक्षक पकड़े गए हैं। लापरवाही का आलम यह है कि अभी तक कूट रचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी करते पकड़े गए शिक्षकों से भुगतान किए गए वेतन की रिकवरी नहीं कर पाया है।
’>>बलरामपुर व महराजगंज में भी पकड़े जा चुके हैं फर्जी शिक्षक
’>>अभी तक एसटीएफ व पुलिस के हाथ नहीं लग पाया सरगना
जिले में कूट रचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वाले फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई की गई है। संदिग्ध मिलने पर दोबारा जांच कराई जाएगी। वेतन रिकवरी के लिए वित्त एवं लेखाधिकारी को कुछ शिक्षकों का दस्तावेज उपलब्ध कराया गया है। जल्द ही रिकवरी की कार्रवाई होगी।
रामसिंह, बीएसए