लखनऊ : बेसिक सहित तमाम विभागों को 15वें वित्त आयोग से उप्र को ज्यादा संसाधनों की दरकार
आयोग के समक्ष राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली मांगों के बारे में रविवार को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर उनके सामने प्रस्तुतीकरण हुआ जिसमें वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, मुख्य सचिव आरके तिवारी, वित्त, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर विकास, औद्योगिक विकास व राजस्व विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। प्रस्तुतीकरण के आधार पर तय हुआ कि राज्य सरकार सूबे की बड़ी आबादी व क्षेत्रफल समेत सामाजिक-आर्थिक मोचरें पर उप्र के समक्ष मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए प्रदेश के विकास को गति देने के लिए आयोग से ज्यादा संसाधन मुहैया कराने की मांग करेगी। केंद्रीय करों में अधिक हिस्सेदारी हासिल करने के साथ राज्य सरकार का यह भी प्रयास होगा कि उसे ज्यादा सहायता अनुदान भी मिले।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों में उप्र का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कम है। शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के साथ सरकार का ध्यान शैक्षिक गुणवत्ता पर भी है। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए सरकार तेजी से मेडिकल कॉलेज खोल रही है और चिकित्सीय सुविधाओं का संजाल भी बिछा रही है।
अवस्थापना विकास के तहत सूबे में कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी सरकार का फोकस है। पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के निर्माण के साथ सड़कों-पुलों के निर्माण पर भी सरकार का जोर है। ऊर्जा सेक्टर भी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। पिछड़े पूर्वांचल और बुंदेलखंड के विकास की अपनी चुनौतियां हैं। आयोग के समक्ष अपनी विषम परिस्थितियों और पिछले ढाई वर्षों में इनसे पार पाने के लिए किये गए प्रयासों का हवाला देकर मुख्यमंत्री और उनकी टीम आयोग से ज्यादा संसाधनों की मांग करेगी। 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत तय की थी जिसका 17.95 प्रतिशत हिस्सा उप्र को आवंटित किया गया था।
लखनऊ पहुंच कर आयोग सोमवार को पंचायती राज संस्थाओं, शहरी स्थानीय निकायों, राजनीतिक दलों और व्यापार व उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग बैठकें करेगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पूर्व केंद्रीय राजस्व सचिव नंद किशोर सिंह की अध्यक्षता में नवंबर 2017 में 15वें वित्त आयोग का गठन किया था। आयोग को पहली अप्रैल 2020 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष से लेकर अगले पांच साल तक केंद्र और राज्यों के बीच करों के विभाजन का फॉमरूला तय करना है।
सर्वाधिक आबादी और चुनौतियों का हवाला देगी सरकार
वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों के विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी 42 फीसद तय की थी जिसका 17.95 फीसद हिस्सा उत्तर प्रदेश को दिया गया था
कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के साथ ऊर्जा सेक्टर सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।