लखनऊ विश्वविद्यालय के 1.09 करोड़ रुपये के चेक के फर्जीवाड़े की जांच में गुरुवार को बड़ा खुलासा हुआ है। जिन फर्जी चेक से सहारे बैंक से 1.09 करोड़ रुपये निकाले गए उन पर तत्कालीन वित्त अधिकारी और लेखाधिकारी के हस्ताक्षर हैं। पुलिस की जांच में यह सामने आया है। यह हस्ताक्षर असली हैं या नकली, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। लखनऊ विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज अभय सिंह ने बताया कि बैंक से चेक मिलने के बाद ही इसकी जांच हो सकेगी।
उधर, पुलिस टीम ने गुरुवार को एक बार फिर बैंक अधिकारियों से चेक उपलब्ध कराने के लिए सम्पर्क किया है। जांच टीम की मानें तो लगातार कोशिशों के बाद भी यह चेक नहीं मिल पाए हैं। बैंक ने अपनी लीगल सेल की सहमति के बाद ही चेक देने की बात कही है।
फर्जी चेक के जरिए लखनऊ विश्वविद्यालय के खाते से 1,09,82,935 रुपये निकाल लिए हैं। यह रकम 2017 और 2018 के बीच निकाली गई। मामला बीती चार अक्तूबर को सामने आया। हैरानी की बात है कि खुलासा खुद विश्वविद्यालय प्रशासन ने किया था लेकिन, अब करीब 20 दिन गुजर जाने के बाद भी जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रशासन उपलब्ध नहीं करा सका है।
आज भी खाली हाथ लौटी टीम : चौकी इंचार्ज अभय सिंह ने बताया कि जांच टीम ने विश्वविद्यालय से कर्मचारियों का ब्योरा मांगा है। गुरुवार को उपलब्ध कराने की उम्मीद जताई गई थी। लेकिन, अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है सूचनाएं तैयार हो गई हैं।
कुलपति की संस्तुति के बाद उपलब्ध करा दी जाएंगी। उधर, बैंक भी चेक उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहा है। नतीजा, जांच आगे ही नहीं बढ़ पा रही है। इसको लेकर तरह-तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।