शिक्षा के क्षेत्र में शिवानी यादव ने बनाई पहचान
जागरण संवाददाता, एटा: शिक्षा के क्षेत्र में जो सफलताएं उन्होंने अर्जित कीं, वह सहज भी नहीं है। शिक्षा में सुधार के लिए उनके प्रयास और परिणाम इस रूप में सामने आ चुके हैं कि बदायूं में 30 पिछड़े क्षेत्र के स्कूलों का कायाकल्प करते हुए उन्हें मॉडल बनाया। वह जहां भी रहीं अपनी छाप छोड़ी।
बात पैतृक गांव शीतलपुर ब्लॉक के अंबारी गांव निवासी स्व. जगत सिंह यादव की पुत्री शिवानी यादव की है। वह आठ साल की थी, तभी पुलिस में सब इंस्पेक्टर पिता की मृत्यु सड़क हादसे में हो गई। वह अपने बूते शिक्षा ग्रहण करने में लगं रहीं । धीरे-धीरे 1994 में प्रथम श्रेणी में राजनीतिक शास्त्र से स्नातकोत्तर की उपाधि पाने में सफल रहीं। उन्होंने डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन साफ्टवेयर मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन ई-कॉमर्स की डिग्री भी पाई। वर्ष 2006 में वह अलीगढ़ जीजीआइसी में प्रवक्ता बनीं। जिस ग्रामीण क्षेत्र में उनकी नियुक्ति हुई, वहां उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं में शिक्षा के प्रति रुचि जगाई और अभिभावकों की भी सोच बदली। उनकी जागरूकता का असर खास रहा। 2007 में वह बरेली डायट में नियुक्त हुईं, जहां भी उन्होंने अपनी क्षमताओं का प्रयोग बालिका शिक्षा जागरूकता और शिक्षा गुणवत्ता से जुड़ा रहा।
वर्ष 2015-16 में उन्होंने बरेली डायट में रहते हुए पिछड़े क्षेत्र के विद्यालयों को गोद लेना शुरू किया और तीन-चार सालों में ही 30 स्कूलों की दशा बदलते हुए उन्हें मॉडल का दर्जा दिलाया। इनमें कई स्कूल राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत हुए और उन्हें भी स्कॉच स्मार्ट एजुकेशन अवार्ड मिला। इसके साथ बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने की मुहिम जारी रखी। उन्होंने गुरुकुल पीएलसी की स्थापना कर देश-विदेश के 25 हजार शिक्षकों को उससे जोड़ा है। इसी साल वह जीआइसी एटा में नियुक्त हुई हैं। उनके कार्य एनसीइआरटी व एससीइआरटी स्तर पर सराहे जाते रहे हैं। दो अक्टूबर को उन्हें एससीइआरटी द्वारा शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा।
शिवानी यादव ’ जागरण