प्रबंध समितियों की ‘कागजी’ बैठक, ‘किताबी’ निर्देश
जागरण टीम, सीतापुर : विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक का प्रबंध कागजी और निर्देश किताबी हैं। प्रबंध समिति का मतलब दीवार पर लिखे अध्यक्ष व सदस्य के नाम से अधिक नहीं है। विद्यालय के ये जिम्मेदार, बैठक कब होनी है? इसमें कौन-कौन शामिल होगा इससे भी अनजान रहते हैं। नियम तो गांव में मुनादी कराने का होता है लेकिन बैठक की जानकारी ग्राम सभा के जिम्मेदारों तक को नहीं होती।
दैनिक जागरण की पड़ताल में विद्यालय प्रबंध समिति की कागजी बैठक की हकीकत सामने आई। कहीं तो प्रधानाध्यापकों ने जानकारी न होना बताया तो किसी ने मनमाने तरीके से दूसरे दिन बता दिया। जबकि बीएसए ने तीन अक्टूबर को प्रबंध समिति की बैठक कराकर फोटो प्रेरणा एप पर अपलोड करने को कहा था।
इनको तो पता ही नहीं: विकास खंड गोंदलामऊ के प्राथमिक विद्यालय उत्तरधौना, उदईपुर पश्चिमी व प्राथमिक विद्यालय कल्ली के शिक्षक को तो प्रबंध समिति की बैठक की जानकारी ही नहीं थी। मिश्रिख विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय बीबीपुर और परसपुर के प्रधानाध्यापकों ने बैठक की जानकारी न होने की बात कही। मिश्रिख के पूर्व माध्यमिक विद्यालय भिठौली, संजराबाद में भी विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक नहीं हुई। पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरगांव में बैठक नहीं हुई। एबीएसए मिश्रिख छोटेलाल ने कहा कि, संकुल प्रभारियों को निर्देश दिए गए थे। महोली के प्राथमिक विद्यालय महसोनिया में प्रधानाध्यापक ने प्रबंध समिति की बैठक कराना जरूरी नहीं समझा।
कम सदस्य, अधूरी बैठक: विकास खंड रेउसा के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरैयां में प्रबंध समिति की बैठक तो हुई, लेकिन सदस्य कम रहे। लेखपाल ने बैठक में भाग नहीं लिया। पिसावां के प्राथमिक विद्यालय नेवदिया में बैठक बिना लेखपाल के हुई। पूर्व माध्यमिक विद्यालय खोजेपुर में भी लेखपाल ने बैठक में भाग नहीं लिया। बेहटा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सोहरिया में हुई बैठक में भी सभी सदस्य शामिल नहीं हुए। बैठक में पूरी किताबें न मिलने पर चर्चा की गई। सकरन के प्रा. विद्यालय सांडा द्वितीय, किरतापुर, लहसड़ा आदि में प्रबंध समिति की बैठक की गई। रेउसा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय चौसा व खरौंहा में भी शिक्षकों ने बिना लेखपाल के ही बैठक की।