कासगंज : सवा लाख में ‘खरीदी’ थी बीएड की डिग्री
जागरण संवाददाता, कासगंज : बीएड डिग्री फर्जीवाड़े में बर्खास्त किए गए 90 शिक्षक आंबेडकर विवि, आगरा के एक कॉकस में फंस गए थे। कॉकस इतना ताकतवर था कि आसपास के जिलों तक इनकी जड़ें फैली थीं। घर बैठे-बैठे एक से सवा लाख रुपये में बीएड की डिग्री थमा दी जाती थी। 1घर बैठे ही डिग्री के इस खेल में कासगंज के भी कळ्छ खिलाड़ी शामिल थे, जिन्होंने यहां के लोगों को विवि तक भेजा। यह खेल 2008 से पहले जमकर चला। सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षकों के लिए रिक्तियां निकाली जा रही थीं। उस वक्त बीएड काउंसिलिंग से होती थी, कॉलेजों में सीटें भी कम थी, ऐसे में जिनका काउंसिलिंग में नंबर नहीं आया, वो मैनेजमेंट कोटे से बीएड कर नौकरी की चाह में इस कॉकस के जाल में फंस गए। जिसका जितने में सौदा पटा, उतने में उसको डिग्री थमा दी गई। किसी से 80 हजार रुपये लिए गए तो किसी से सवा लाख रुपये तक। 1सत्यापन की जिम्मेदारी लेते थे विवि कर्मी : फर्जी डिग्री देने के साथ इसके सत्यापन की जिम्मेदारी भी विविकर्मियों की होती थी। वह इस बात की गारंटी देते थे कि नौकरी लगने के बाद में जब डिग्री सत्यापन के लिए विवि में आएगी तो उसे सत्यापित भी करा दिया जाएगा। यह जळ्दा बात है कि सत्यापन के नाम पर इन शिक्षकों से दस से 15 हजार रुपये वसूले गए। 1बच गए.. उस वक्त पिताजी की बात मानी : कासगंज में ही रहने वाले एक कारोबारी ने मंगलवार सळ्बह अखबार देखा तो मळ्ंह से निकल पड़ा कि बच गए.. उस वक्त पिताजी की बात मान ली। दरअसल, सन 2006 में इनकी पत्नी का भी बीएड काउंसिलिंग के लिए नाम नहीं आया था। एक बीएड कॉलेज संचालक से बात की तो उन्होंने विवि के कर्मचारी से बात करा दी। 60 हजार रुपये में सौदा पटा। रुपये लेकर विवि पहळ्ंच भी गए, लेकिन उस वक्त पिताजी साथ थे तो उन्होंने फर्जीवाड़ा करने से इन्कार कर दिया। कारोबारी का कहना था अगर उस दिन पिताजी की बात नहीं मानते तो आज मळ्सीबत में फंस जाते। 1भाई और पत्नी भी हळ्ई बर्खास्त : बर्खास्त किए गए शिक्षकों में कई ऐसे भी हैं, जिनके परिवार में एक से तीन शिक्षक हैं। पटियाली में ही तीन शिक्षक बर्खास्त किए गए हैं, जिनमें दो सगे भाई तथा एक भाई की पत्नी है।जागरण संवाददाता, कासगंज : बीएड डिग्री फर्जीवाड़े में बर्खास्त किए गए 90 शिक्षक आंबेडकर विवि, आगरा के एक कॉकस में फंस गए थे। कॉकस इतना ताकतवर था कि आसपास के जिलों तक इनकी जड़ें फैली थीं। घर बैठे-बैठे एक से सवा लाख रुपये में बीएड की डिग्री थमा दी जाती थी। 1घर बैठे ही डिग्री के इस खेल में कासगंज के भी कळ्छ खिलाड़ी शामिल थे, जिन्होंने यहां के लोगों को विवि तक भेजा। यह खेल 2008 से पहले जमकर चला। सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षकों के लिए रिक्तियां निकाली जा रही थीं। उस वक्त बीएड काउंसिलिंग से होती थी, कॉलेजों में सीटें भी कम थी, ऐसे में जिनका काउंसिलिंग में नंबर नहीं आया, वो मैनेजमेंट कोटे से बीएड कर नौकरी की चाह में इस कॉकस के जाल में फंस गए। जिसका जितने में सौदा पटा, उतने में उसको डिग्री थमा दी गई। किसी से 80 हजार रुपये लिए गए तो किसी से सवा लाख रुपये तक। 1सत्यापन की जिम्मेदारी लेते थे विवि कर्मी : फर्जी डिग्री देने के साथ इसके सत्यापन की जिम्मेदारी भी विविकर्मियों की होती थी। वह इस बात की गारंटी देते थे कि नौकरी लगने के बाद में जब डिग्री सत्यापन के लिए विवि में आएगी तो उसे सत्यापित भी करा दिया जाएगा। यह जळ्दा बात है कि सत्यापन के नाम पर इन शिक्षकों से दस से 15 हजार रुपये वसूले गए। 1बच गए.. उस वक्त पिताजी की बात मानी : कासगंज में ही रहने वाले एक कारोबारी ने मंगलवार सळ्बह अखबार देखा तो मळ्ंह से निकल पड़ा कि बच गए.. उस वक्त पिताजी की बात मान ली। दरअसल, सन 2006 में इनकी पत्नी का भी बीएड काउंसिलिंग के लिए नाम नहीं आया था। एक बीएड कॉलेज संचालक से बात की तो उन्होंने विवि के कर्मचारी से बात करा दी। 60 हजार रुपये में सौदा पटा। रुपये लेकर विवि पहळ्ंच भी गए, लेकिन उस वक्त पिताजी साथ थे तो उन्होंने फर्जीवाड़ा करने से इन्कार कर दिया। कारोबारी का कहना था अगर उस दिन पिताजी की बात नहीं मानते तो आज मळ्सीबत में फंस जाते। 1भाई और पत्नी भी हळ्ई बर्खास्त : बर्खास्त किए गए शिक्षकों में कई ऐसे भी हैं, जिनके परिवार में एक से तीन शिक्षक हैं। पटियाली में ही तीन शिक्षक बर्खास्त किए गए हैं, जिनमें दो सगे भाई तथा एक भाई की पत्नी है।