एशिया की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाला यूपी बोर्ड देखते-देखते छह साल में हाईटेक हो गया। 2013-14 में हाईस्कूल और इंटर के छात्र-छात्राओं का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू होने के बाद से बोर्ड ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज की तारीख में बोर्ड से जुड़े 27 हजार से अधिक राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय और वित्तविहीन विद्यालय में से प्रत्येक में कितने कमरे हैं, कितने शिक्षक, उनकी योग्यता, उपलब्ध संसाधन, सबकुछ बोर्ड की वेबसाइट पर मौजूद है।
पहली बार आठ हजार केंद्रों की होगी वेबकास्टिंग
यूपी बोर्ड की कार्यशैली में बदलाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है 2020 में पहली बार सभी आठ हजार से अधिक परीक्षा केंद्रों की वेबकास्टिंग होगी। यानि प्रदेश के किस केंद्र पर क्या चल रहा है यह लखनऊ या इलाहाबाद से बैठकर एक क्लिक पर देखा जा सकेगा। वेबकास्टिंग के लिए प्रत्येक जिले में कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा जिसकी मॉनीटरिंग डीएम की ओर से नामित अधिकारी करेंगे।
2018 में ही सीसीटीवी से शुरू हुई निगरानी
यूपी बोर्ड की 2018 परीक्षा से केंद्रों की निगरानी सीसीटीवी से होने लगी। 2019 में सीसीटीवी के साथ ही वॉयस रिकॉर्डर भी लगवा दिए गए ताकि बोल-बोल कर नकल न हो सके। दो साल से परीक्षा छोड़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत अधिक है। 2017 में 10वीं-12वीं के लिए पंजीकृत 6056003 परीक्षार्थियों में से 535494 ने परीक्षा छोड़ी थी। वहीं 2018 में सीसीटीवी से निगरानी होने पर 1006408 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी थी।
ऑनलाइन सत्यापन के लिए 16 साल का रिजल्ट उपलब्ध
यूपी बोर्ड ने 2003 से 2019 तक की हाईस्कूल-इंटरमीडिएट परीक्षा का रिजल्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है ताकि ऑनलाइन सत्यापन कराया जा सके। इसका नतीजा यह हुआ कि 68500 शिक्षक भर्ती में चयनित हजारों शिक्षकों का वेतन ऑनलाइन सत्यापन से ही जारी हो गया।