सीडीओ की कक्षा में गुरु और शिष्य हो गए फेल
गुरुवार सुबह 9.15 बजे सीडीओ नगेंद्र शर्मा भोजपुरा के प्राथमिक स्कूल जा पहुंचे। उपस्थिति पंजिका में पंजीकृत 91 विद्यार्थियों में से केवल 29 ही कक्षाओं में मिले। कक्षा-5 के मोहित से हमारा परिवेश पुस्तक से गेहूं-चने की बुवाई किस मौसम में की जाती है, सवाल पूछा तो उसने सही उत्तर दिया। पुस्तक पढ़वाई गई तो अटक गया। गणित के प्रश्नों का जबाव नहीं दे सका। प्रधानाध्यापिका को शिक्षा के स्तर में सुधार को कहा।
शौचालयों में गंदगी: पाठशाला का शौचालय बहुत गंदा मिला। बताया गया कि सफाईकर्मी नहीं आता है, इस पर नगर पालिका ईओ को कर्मचारी का वेतन रोकने और स्पष्टीकरण लेने को कहा। एमडीएम समीक्षा में 23 अक्टूबर से प्रविष्टियां अपूर्ण मिली।
शिक्षा मित्र नहीं आ रहे पाठशाला: सीडीओ नगेंद्र शर्मा ने बताया कि शिक्षामित्र राका चौहान, शिल्पा सागर बीएलओ के नाम पर पाठशाला नहीं आ रही है। इस पर बीएसए को संबंधित शिक्षा मित्रों को अनुपस्थित मानते हुए अनुपस्थित तिथि का वेतन रोकने और स्पष्टीकरण लेने को कहा है।
नहीं मिले जूते-मोजे: विद्यालय में पंजीकृत विद्यार्थियों में से 53 बच्चों को यूनिफार्म प्राप्त हुई है। जूते-मोजे विद्यालय में आए गए हैं, लेकिन उनका वितरण नहीं हुआ है।
प्रावि भोजपुरा की प्रधानाध्यापिका नही कर पाई अंग्रेजी में अनुवाद, गणित के सवालों के जवाब बताने में विद्यार्थी फेल
जासं, मैनपुरी: मिशन शिक्षण संवाद की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन लखनऊ स्थित रानी लक्ष्मीबाई सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हुआ। यहां सूबे भर से आए तीन सैकड़ा शिक्षकों में जिले के भी तीन शिक्षकों ने अपने अनुभवों को साझा किया। शिक्षण विधि के अनोखे तरीकों की सराहना करते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री ने ऐसे फामरूले दूसरे परिषदीय विद्यालयों में भी अपनाने का सुझाव दिया। कार्यशाला में प्राथमिक विद्यालय नाहिली प्रथम के प्रधानाध्यापक महेंद्र प्रताप सिंह, प्राथमिक विद्यालय चने छबीलेपुर की प्रधानाध्यापिका मयंका शर्मा और प्राथमिक विद्यालय मानपुरा के सहायक अध्यापक अंशुल कुमार ने अपने अनुभवों को साझा किया। शिक्षकों ने बताया कि सीमित संसाधनों में भी खेल-खेल में पढ़ाई बेहद आसान और रोचक ढंग से कराई जा सकती है। जरूरी है कि हम अपनी सोच को विद्यालय प्रबंध समिति और अभिभावकों के सामने रखें। बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय में अलग-अलग प्रकार के टास्क देखकर उनके भीतर छिपी प्रतिभा को निखारा जा सकता है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चों के मन में छिपी ङिाझक को दूर किया जाए। यदि ङिाझक दूर हो गई तो वे किसी भी काम को पूर्ण मनोयोग से कर सकेंगे। बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी के साथ गणोश कुमार संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक ने शिक्षण कार्यविधि के तरीके को दूसरे प्राथमिक विद्यालयों में भी अपनाने के सुझाव दिए।
गुरुवार को प्राथमिक विद्यालय भोजपुरा में अभिलेखों की जांच करते सीडीओ नगेंद्र शर्मा ’
