प्रयागराज : सेवानिवृत्ति का विकल्प न भरने पर भी मिलेगी ग्रेच्युटी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवा काल में मृत अध्यापक की पत्नी को उसकी पूरी ग्रेच्युटी का भुगतान आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बरेली मंडल के लेखागार और पेंशन अधिकारी के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें इस आधार पर ग्रेच्युटी का भुगतान रोक दिया गया था कि याची के पति ने 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं भरा था। बरेली की रेनू गुप्ता की याचिका पर न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने सुनवाई की। याचिका पर अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी ने बहस की।
याची के पति प्राइमरी स्कूल अग्रास बदायूं में अध्यापक थे। एक जुलाई 2017 को सेवा काल में उनकी मृत्यु हो गई। याची को पति की सेवा के अन्य परिलाभ तो मिल गए मगर ग्रेच्युटी नहीं दी गई। अधिकारियों का कहना था कि सेवानिवृत्ति संबंधी विकल्प भरे बिना 16 सितंबर 2019 के शासनादेश के मुताबिक याची ग्रेच्युटी पाने की हकदार नहीं है। जबकि याची के अधिवक्ता का कहना था कि पति ने यदि 60 वर्ष में रिटायर होने का विकल्प नहीं दिया है तब भी 16 सितंबर 2019 के शासनादेश में उनके अधिकार कम नहीं होंगे। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के कई आदेशों की नजीरें भी पेश की गई। कोर्ट ने याची को तीन माह में ग्रेच्युटी का लाभ देने का निर्देश दिया है।