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नई दिल्ली : स्कूली शिक्षा में सुस्त सुधार से यूपी सबसे नीचे, चुनावी कामकाज से शिक्षकों को मिल सकती है मुक्ति

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स्कूली शिक्षा में सुस्त सुधार से यूपी सबसे नीचे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : उत्तराखंड और कर्नाटक को छोड़ दें, तो स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में देश के सभी बड़े राज्यों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। जिन राज्यों में सबसे तेज सुधार दिखा है, उनमें हरियाणा शीर्ष पर, असम दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। इस सुधार के बावजूद यूपी ओवरआल रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर ही है। बिहार में करीब 7.3 प्रतिशत और झारखंड में दो प्रतिशत अंकों के साथ सुधार हुआ है, लेकिन इनकी रैकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ है। जबकि क्रमिक सुधार की रैकिंग में कर्नाटक आठ व उत्तराखंड चार अंकों से नीचे खिसक गया है।

नीति आयोग ने विश्व बैंक और मानव संसाधन विकास मंत्रलय के साथ मिलकर तैयार की गई स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट सोमवार को जारी की। यह इंडेक्स वर्ष 2016-17 के आंकड़ों के आधार पर बनाया गया है। वहीं राज्यों केइंक्रीमेंटल परफार्मेस की रैकिंग वर्ष 2015-16 के आंकड़ों के आधार पर तय की गई है। स्कूली शिक्षा के इस इंडेक्स में शीर्ष और निचले पायदान पर रहने वाले राज्यों में भारी अंतर भी है। ओवरआल प्रदर्शन में केरल जहां 76.6 प्रतिशत अंकों के साथ शीर्ष है, वहीं उत्तर प्रदेश 36.4 प्रतिशत अंकों के साथ सबसे नीचे है। दैनिक जागरण ने विगत 25 सितंबर को प्रकाशित समाचार में यह जानकारी दी थी।

नीति आयोग ने राज्यों के बीच के इस बड़े अंतर को भरने की जरूरत बताई है। राज्यों की यह रैकिंग जिन छह आधारों पर तैयार की गई है, उनमें स्कूली बच्चों के सीखने की क्षमता, शिक्षा की पहुंच, शिक्षा के लिए मूलभूत सुविधाएं और प्रशासन जैसे ¨बदु शामिल हैं।

और मेहनत जरूरी

नीति आयोग ने जारी की स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट

चुनावी कामकाज से शिक्षकों को मिल सकती है मुक्ति

स्कूली शिक्षकों को चुनावी कामकाज से मुक्त रखने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। आने वाले दिनों में वह बूथ लेवल अफसर जैसे कामों से मुक्त हो सकते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रलय की स्कूली शिक्षा सचिव रीना रे ने बताया कि इसके लिए वह प्रत्येक जिलों के कलेक्टर्स से 20 ¨बदुओं पर जानकारी जुटा रही हैं।

राज्यों को प्रदर्शन के आधार पर मिले पैसा: आयोग

स्कूली शिक्षा को लेकर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट जारी करते हुए नीति आयोग ने मानव संसाधन विकास मंत्रलय से स्वास्थ्य मंत्रलय की तरह प्रदर्शन के आधार पर राज्यों को पैसा देने का सुझाव दिया है।

सुधारनी होगी पढ़ाई-लिखाई (फाइल फोटो)

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