बीएड प्रैक्टिकल में पारदर्शिता लाने की उठी मांग
जासं, मेरठ : चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में बीएड की प्रयोगात्मक परीक्षा में पैसे लेकर नंबर देने के मामले में शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। इस मामले में वह विश्वविद्यालय में कुलपति और रजिस्ट्रार से मिलेंगे। परीक्षा की पारदर्शिता के लिए शिक्षक हर कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
अभी कुछ दिन पहले बीएड की प्रयोगात्मक परीक्षा को लेकर एक आडियो मैसेज वायरल हुआ था। इसमें कुछ शिक्षकों पर पैसे लेकर नंबर न बढ़ाने का आरोप लगा था। यह आडियो विश्वविद्यालय के पास भी है। इस मामले में जिस बांके बिहारी इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशन की प्रायोगिक परीक्षा के दौरान यह आरोप लगाया गया था। जिसका संस्थान के चेयरमैन ने खंडन किया है। इसे संस्थान की छवि धूमिल करने की साजिश बताया है। मंगलवार को मेरठ कॉलेज के इग्नू सेंटर में शिक्षक प्रशिक्षक एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भी मामले की तह तक जाने की बात की है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय से मांग की है कि अगर ऐसा कोई आरोप है तो उसकी जांच कराने के लिए शिक्षक तैयार है। जिन छात्रों की प्रयोगात्मक परीक्षा ली गई है, उनके दूसरे किसी परीक्षक से मूल्यांकन करा लिया जाए। शिक्षकों ने कहा कि जिन छात्रों का मूल्यांकन किया गया, वह नियमों के तहत हुआ है। इसमें किसी तरह का दबाव नहीं है। शिक्षकों की छवि को खराब करने के लिए इस तरह आडियो क्लिप वायरल किया गया है। शिक्षकों का कहना है कि विवि की प्रयोगात्मक परीक्षा के पैनल में एक दिन पहले ही शिक्षक को पता चलता है कि उन्हें कहां किस कॉलेज में परीक्षक बनकर जाना है। उन्हें छात्र के विषय में भी पता नहीं चलता है। प्राइवेट कॉलेज अगर पैसे लेते हैं तो उसका आरोप शिक्षकों पर लगाना उचित नहीं है। शिक्षकों ने विश्वविद्यालय से कहा है कि परीक्षा की पारदर्शिता के लिए जो भी कदम उठाया जाएगा, उसका एसोसिएशन पूरा सहयोग करेगी। बैठक में शिखा चतुर्वेदी, डा. अजय चौधरी, प्रो. सुरक्षा पाल, डा. पूनम सिंह, डा. सीमा शर्मा, डा. एसके पुंडीर, डा. संजय कुमार, डा. दिनेश कुमार आदि अन्य शिक्षक और शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।
वीडियोग्राफी में हो परीक्षा
बैठक में डा. एसके पुंडीर ने बीएड की प्रयोगात्मक परीक्षा के दौरान वीडियोग्राफी कराने और टीए और डीए का भुगतान विश्वविद्यालय से करने का सुझाव रखा।
न 40 से कम हो 80 से ज्यादा
बीएड की प्रयोगात्मक परीक्षा में किसी भी छात्र को 40 नंबर से कम या 80 नंबर से अधिक परीक्षक नहीं दे सकते हैं। विश्वविद्यालय की नियमावली में ऐसा प्रावधान किया गया है। अगर कोई परीक्षक किसी छात्र को इससे कम या अधिक नंबर देते हैं तो उसके विषय में विशेष टिप्पणी लिखनी पड़ती है। विवि की प्रवेश नियमावली में इसका भी उल्लेख किया है कि परीक्षकों को यात्र भत्ता और पारिश्रमिक का भुगतान संबंधित कॉलेज ही करेंगे।
नाम नहीं गोपनीय नंबर से मूल्यांकन
बीएड की प्रयोगात्मक परीक्षा शुरू होने से पहले परीक्षक को एक गोपनीय कोड नंबर का सील लिफाफा दिया जाता है। इस सील्ड लिफाफे में परीक्षार्थी का कोड नंबर और फोटो सहित एक कार्ड होता है। परीक्षार्थी अपनी प्रयोगात्मक परीक्षा की फाइल पर वहीं गोपनीय नंबर अंकित करते हैं। इस कोड को प्रायोगिक परीक्षा के समय छात्र अपने शर्ट की जेब के उपर और छात्रएं साड़ी या चुन्नी के उपर लगाकर आती हैं। विवि के नियमावली में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी छात्र अपना नाम या रोल नंबर किसी भी परीक्षक को नहीं बताएंगे।
आनलाइन नंबर भेजने का प्रावधान
बीएड में प्रयोगात्मक परीक्षा के अंक आनलाइन भेजने की व्यवस्था भी की गई है। जो विश्वविद्यालय को भेजा जाता है। ऐसे में कॉलेज आसानी से किसी भी छात्र के अंक के विषय में जानकारी नहीं प्राप्त कर सकते हैं।
’>>बुधवार को कुलपति और रजिस्ट्रार से मिलेंगे शिक्षक
’>>बीएड में छात्रों की प्रयोगात्मक परीक्षा की वीडियोग्राफी कराने का सुझाव