सीतापुर : एक कमरा, 114 बच्चे और एक शिक्षक
शहर में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं है। अगर बारिश होने लगे तो बच्चे खड़े होकर भी खुद को भीगने से नहीं बचा पाएंगे। बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत हो जाए तो उन्हें संभालना भी मुश्किल हो जाता है। स्कूल के नाम पर एक कमरा और सिर्फ एक शिक्षक के सहारे बेहतर शिक्षा के कागजी दावे किए जा रहे हैं। ये स्कूल किसी दूर-दराज गांव का नहीं, शहर का प्राथमिक विद्यालय लोनियनपुरवा है। विद्यालय में प्रधानाध्यापक नीलम तिवारी व शिक्षामित्र राजकुमार की तैनाती है। यहां 114 बच्चे पंजीकृत हैं। शिक्षामित्र राजकुमार को कांशीराम कालोनी स्थित स्कूल से संबद्ध किया गया है। बच्चों की शिक्षा भी भगवान भरोसे ही है।
शौचालय तक नहीं : इस विद्यालय में शौचालय भी नहीं बना है। स्कूल के पास ही गंदा नाला बहता है। परिसर में सुअर व बेसहारा जानवर घूमते रहते हैं। बच्चों के बैठने की जगह पर गोबर पड़ा रहता है।
कहां बैठाएं और कहां पढ़ाएं : स्कूल के छोटे से बरामदे में रसोईघर बना लिया जाता है। एक कोने में प्रधानाध्यापक की कुर्सी लग जाती है। कमरे में कुर्सी, मेज व अन्य सामान रखा रहता है। ऐसे में बच्चों को कहां बिठाया जाए और कैसे पढ़ाई होती होगी ये कहना मुश्किल है।
समस्याओं का रोना, प्रयास पर चुप्पी : विद्यालय की प्रधानाध्यापक नीलम तिवारी स्कूल में समस्याएं गिनाना नहीं भूलतीं। गंदगी, बहता नाला और बेसहारा जानवरों की समस्याएं तो बताती हैं लेकिन इन समस्याओं को दूर करने के लिए किसी को पत्र लिखा या नहीं, इस पर चुप्पी साध लेती हैं।
नगर में एक कमरे में संचालित प्राथमिक विद्यालय लोनियनपुरवा ’ जागरण
भवन विहीन स्कूल की परिकल्पना तो बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी है। स्कूल भवन बनने के लिए जमीन नहीं मिल रही है। अगर इस्माइलपुर में विद्यालय को मर्ज किया जाए तो बच्चे नहीं पहुंचेंगे। राजस्व विभाग से जमीन मुहैया कराए जाने की मांग की गई है। जमीन मिले तो भवन निर्माण की प्रक्रिया पूरी हो।
संजय कुमार, नगर शिक्षाधिकारी सीतापुर
लोनियनपुरवा प्राइमरी स्कूल में एक ही कमरे में पढ़ते पांच क्लास के बच्चे, जर्जर भवन, परिसर में ही घूमते सुअर और बेसहारा पशु