झांसी : 25 दिसम्बर को लांच हो सकती नई शिक्षा नीति-रमेश पोखरियाल
—भारत केंद्रित होगी नई शिक्षा, संस्कारों और मातृभाषा में शिक्षा पर होगा जोर
—मेहसाणा में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का सातवां अखिल भारतीय राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न
मेहसाणा/झांसी(शिक्षा खबर ब्यूरो)। नई शिक्षा नीति पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसबंर को देश को समर्पित की जा सकती है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सातवें अखिल भारतीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि नई शिक्षा नीति अपने अंतिम पड़ाव पर है और यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहेंगे तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के जन्मदिन पर इसे लांच किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित होगी। इसमें संस्कारों व मातृ भाषा को महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा है कि यह शिक्षा नीति देश के आधार को खड़ा करेगी क्योंकि इसमें देश के विभिन्न वर्गों के विचारों को समाहित किया गया है।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के गणपति यूनिवर्सिटी मेहसाणा में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन के तीन दिवसीय अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि 1986 की शिक्षा नीति के लगभग 3 दशक के मंथन के बाद नई शिक्षा नीति तैयार हो रही है। नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित ही होगी। हम शिक्षा को मातृभाषा में देने पर ही बल दे रहे हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों का भी समावेश होगा। बिना संस्कार के शिक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बदलते हुए परिवेश में शिक्षकों को भी विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है और इसलिए मंत्रालय द्वारा अनेक प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। हमारा प्रयास है कि अगर कोई शिक्षण संस्थान उच्च स्तर पर पहुंचता है तो वह अपने आसपास के शिक्षण संस्थानों को उस स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रयास करें। वर्तमान में शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच बढ़ रही दूरियों को पाटने के लिए भी हम प्रयासरत हैं और रैगिंग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। नई शिक्षा नीति पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह अंतिम पड़ाव पर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आदेश मिलते ही इसे लांच किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन 25 दिसंबर को नई शिक्षा नीति लांच की जा सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अधिवेशन में परामर्श से निकले हुए निचोड़ को भी नई शिक्षा नीति में शामिल किया जा सकता है। समापन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाहक भैयाजी जोशी ने कहा कि देश में परिवर्तन का दौर 1857 से प्रारंभ हुआ। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के आरंभ होने के 90 वर्ष के बाद सन् 1947 में हमारा देश आजाद हुआ और आज हमारी प्रगति देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह वही देश है जो सैकड़ों वर्षों तक दूसरों का गुलाम रहा। हमने विज्ञान, संचार स्वास्थ्य , कृषि विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन की इस बयार में सरकार द्वारा स्टैंडअप, स्टार्टअप कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं और अब स्पीड अप कार्यक्रम की आवश्यकता है। हमें युवा पीढ़ी को स्पीड अप करने की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को स्पीड अप करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन भाई पटेल सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी अधिवेशन को संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि हमें एक संकल्प लेकर लौटना है कि हम समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। इस अवसर पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष जेपी सिंघल, महामंत्री शिवानंद, संपर्क मंत्री महेंद्र कपूर सह संगठन मंत्री ओमपाल सिंह, गुजरात अध्यक्ष घनश्याम भाई पटेल, उत्तर प्रदेश के महामंत्री भगवती सिंह, झांसी जिलाध्यक्ष अरविंद श्रीवास्तव, जिला महामंत्री विनय शर्मा, महेंद्र तिवारी सिद्धार्थ नगर के जिला अध्यक्ष आदित्य शुक्ला सहित देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए लगभग चार हजार से अधिक शिक्षक, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।