कानपुर : परीक्षा पास करेंगे तब बनेंगे स्वतंत्र निदेशक
पब्लिक कंपनियों को अपने यहां स्वतंत्र निदेशक रखना अनिवार्य होता है। स्वतंत्र निदेशक वे होते हैं जिनके कंपनी में अपने कोई हित नहीं होते। वे कंपनी के काम पर नजर रखते हैं और बैठकों में शामिल होते हैं। कंपनी की गड़बड़ियों की जानकारी मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेट अफेयर्स को देते हैं। वह मुख्य रूप से शेयरधारकों के हितों का ध्यान रखते हैं। सूचीबद्ध कंपनी में निदेशकों की संख्या के एक-तिहाई निदेशक स्वतंत्र निदेशक के रूप में होते हैं। वहीं गैर सूचीबद्ध कंपनियों में कम से कम दो स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए। प्राइवेट कंपनी में इनकी जरूरत नहीं रहती। तमाम कंपनियां पहचान के लोगों को स्वतंत्र निदेशक बना देती हैं। इसके पीछे उनका तर्क होता है कि उन्हें कोई और योग्य निदेशक नहीं मिला, जबकि ऐसा अपनी गड़बड़ियों को छिपाने के लिए किया जाता है। कंपनियों की इस मनमानी को रोकने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेट अफेयर्स ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कारपोरेट अफेयर्स (आइआइसीए) को स्वतंत्र निदेशकों का डाटा बनाने के लिए कहा है। अब देश में जितने भी स्वतंत्र निदेशक हैं, उन्हें आइआइसीए की परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा में 60 फीसद नंबर लाने पर वे आइआइसीए की सूची में आ जाएंगे।
आइआइसीए बना रहा अपना डाटा
फीसद अंक अनिवार्य, नियुक्ति में खत्म होगी मनमानी
दिसंबर 2019 से देशभर में लागू की जाएगी नई व्यवस्था
स्वतंत्र निदेशक को नई व्यवस्था में खुद को तीन माह में इनरोल कराना होगा। आइआइसीए के डाटा में जिनका नाम होगा, वे ही अब स्वतंत्र निदेशक बनेंगे। इससे कंपनियों की तमाम गड़बड़ियां पकड़ी जा सकेंगी।
गोपेश साहू, चैप्टर चेयरमैन, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान, कानपुर नगर
10 वर्ष के अनुभव पर परीक्षा नहीं
सूचीबद्ध कंपनियां, जिनकी पेड अप कैपिटल 10 करोड़ रुपये से अधिक है, उसके स्वतंत्र निदेशकों को परीक्षा की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा जो स्वतंत्र निदेशक 10 वर्ष से काम कर रहे हैं, उन्हें भी परीक्षा नहीं देनी होगी।