लखनऊ : अब शहर और गांव के बीच में हो सकेंगे शिक्षकों के तबादले
परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के संवर्ग अलग-अलग हैं। उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक सेवा) नियमावली, 1981 के तहत ग्रामीण क्षेत्र से नगर और शहरी इलाके से देहात के स्कूलों में शिक्षकों का तबादला नहीं हो सकता है। इस विभाजन के चलते परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की बेतरतीब तैनातियां और घोर असमानताएं पैदा हुईं। इस समस्या के निदान के लिए योगी सरकार हरियाणा की शिक्षक स्थानांतरण नीति का अध्ययन कर रही है। स्कूलों में शिक्षकों की वास्तविक मांग, समानता और पारदर्शिता के आधार पर बनाई गई इस स्थानांतरण नीति के तहत किए जाने वाले तबादलों में मानवीय हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है।
’>>स्थानांतरण में जोनल व्यवस्था लागू करने को हरियाणा मॉडल में दिलचस्पी
’>>खत्म होगी मानव हस्तक्षेप की गुंजाइश कंपोजिट स्कोर से पोस्टिंग
स्थानांतरण जोन के आधार पर
हरियाणा की शिक्षक स्थानांतरण नीति के तहत जिला मुख्यालय से दूरी के आधार पर हर जिले के स्कूल सात जोन में बांटे गए हैं। शिक्षक को सेवाकाल के दौरान सभी जोन में सेवाएं देनी होंगी। पांच साल बाद शिक्षक का तबादला अनिवार्य रूप से दूसरे जोन में कर दिया जाता है। इससे तबादलों में नगर और ग्रामीण क्षेत्र का अंतर मिट जाता है।
रिक्त पदों की सूची वेबसाइट पर
शिक्षकों के रिक्त पदों की सूची शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अध्यापकों से आवेदन (विकल्प) लेने से पहले ही प्रदर्शित कर दी जाती है। शिक्षकों के भारांक भी वेबसाइट पर प्रदर्शित कर दिये जाते हैं।
आवेदन और तबादले की प्रक्रिया ऑनलाइन
शिक्षकों की तैनाती के लिए वेब आधारित एप्लीकेशन के जरिये आवेदन लिए जाते हैं। ऑनलाइन आवेदन में शिक्षक अपनी पसंद के जोन और स्कूल के विकल्प देते हैं।
कंपोजिट स्कोर के यह हैं आधार
किसी रिक्त पद पर उस शिक्षक को ट्रांसफर किया जाता है, जिसका कंपोजिट स्कोर अधिकतम होगा। कंपोजिट स्कोर का निर्धारण मुख्य रूप से शिक्षक की उम्र, शैक्षिक उपलब्धियों, लिंग, वैवाहिक स्थिति, बीमारी, दिव्यांगता आदि के आधार पर किया जाता है। सबके अलग-अलग भारांक हैं।
पिछड़े क्षेत्रों में तैनाती पर वेतनवृद्धि
यदि कोई शिक्षक दुर्गम और पिछड़े क्षेत्र के स्कूल में तबादला चाहता है तो तैनाती के साथ उसे दो वेतनवृद्धि दी जाती है।