राज्य ब्यूरो, प्रयागराज: अनियमित दिनचर्या, अवसाद व तनाव का प्रमुख कारण नकारात्मक विचार है। अगर कोई शिक्षक नकारात्मक विचारों से ग्रसित हो जाए तो उसका प्रभाव उसके छात्रों पर पड़ता है। फिर छात्रों के जरिए समाज उससे प्रभावित होता है। ऐसा न हो उसके लिए स्व-मूल्यांकन करना चाहिए।
यह कहना है मनोविज्ञानशाला प्रयागराज की निदेशक ऊषा चंद्रा का। मनोविज्ञानशाला में प्रदेश के माध्यमिक स्तर के प्रवक्ताओं के लिए बुधवार को तीन दिवसीय ‘निर्देशन व परामर्श’ विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुई। निदेशक ऊषा ने शिक्षकों को प्रतिदिन स्व-मूल्यांकन करने को प्रेरित किया। कहा कि अनियमित दिनचर्या, समायोजन का अभाव, शैक्षिक, व्यावहारिक व व्यक्तिगत दिक्कतों से दूर रहने वाला ही बेहतर काम कर सकता है। इसके लिए नियमित दिनचर्या व अनुशासन बहुत जरूरी है। कार्यशाला प्रभारी डॉ. कमलेश तिवारी ने शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की सीख दी। उन्होंने प्रतिभागियों को स्व-मूल्यांकन करने, नकारात्मक सोच को दूर कर सकारात्मक विचारों के साथ अपने विद्यालय, विद्यार्थियों की विद्यालय स्तर पर निदान करने की सीख दी। कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों के के प्रवक्ता हिस्सा ले रहे हैं।