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एटा : हाथ मलते ही न रह जाएं शिक्षक संगठन

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एटा : हाथ मलते ही न रह जाएं शिक्षक संगठन

जागरण संवाददाता, एटा: शिक्षक एमएलसी चुनाव में स्ववित्त पोषित स्कूलों को भी सहभागिता की हरी झंडी मिल गई। खास बात तो यह है कि जो भी मतदाता बनने के मानक तय किए गए हैं, उनमें बमुश्किल आधा दर्जन स्कूलों के शिक्षक भी मानदंड पूरे करते नहीं दिख रहे। अब तो शिक्षक संगठन इस तरह की शर्तों को सिर्फ धोखा बताने लगे हैं।

संगठनों में इस बात को लेकर आक्रोश और विरोध के स्वर भी मुखरित होने लगे हैं। यहां बता दें कि इस बार शिक्षक एमएलसी चुनाव में वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों को मताधिकार के लिए निर्धारित अर्हता चुनाव आयोग ने तय की है। इस अर्हता के अंतर्गत वही शिक्षक वोट डाल सकेंगे, जोकि अंशकालिक शिक्षक के रूप में सेवा शर्तों का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

आदेश आने के बाद जिले की स्थिति यह है कि नाममात्र स्कूलों को छोड़कर ज्यादातर स्कूलों में शिक्षक अर्हता पूरी नहीं कर रहे। इस कारण नहीं लगता कि सभी वित्तविहीन शिक्षकों और शिक्षक संगठनों की मंशा पूरी हो सकेगी। अब शिक्षक संगठनों ने भी प्रदेश सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है।

वह यह बात कह रहे हैं कि ऐसी अर्हता तय कराकर सिर्फ खुद के प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने की सरकार की मंशा है। माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के मंडल अध्यक्ष रामलाल कुशवाह ने कहा है कि जो भी अर्हता तय की गई है, वह खास शिक्षकों को मतदाता बनवाने के लिए है। संगठन ऐसी स्थिति का विरोध करेगा तथा पिछली बार जो अर्हता रखी गई थी, उसे पूरा कराया जाना चाहिए। उधर चेतनरायन गुट के प्रदेश उपाध्यक्ष गुमान सिंह यादव पहले ही विरोध के साथ न्यायालय तक मामले को ले जाने की बात कह चुके हैं।

’>> वित्तविहीन शिक्षकों को अनुमति पर अर्हता में फंसा पेच

’>> अधिकांश पूरे नहीं कर पा रहे हैं निर्धारित मानक

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