एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर बहराइच श्रावस्ती मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

नई दिल्ली : दो बच्चों का नियम लागू करने को सुप्रीम कोर्ट में अपील

0 comments

नई दिल्ली : दो बच्चों का नियम लागू करने को सुप्रीम कोर्ट में अपील

नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक याचिका में भारत की आबादी को नियंत्रित करने के लिए दो बच्चों के नियम को लागू करने समेत कई और कदम उठाने संबंधी सुझाव दिए गए हैं। विगत तीन सितंबर को इसी संबंध में एक जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में खारिज किए जाने के फैसले के खिलाफ यह अपील की गई है।

भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने मंगलवार को हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील की जिसमें कहा गया था कि जनसंख्या के संबंध में संसद और विधानसभा को कानून पालन कराना चाहिए। यह काम अदालत का नहीं है।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में की गई अपनी अपील में कहा है कि हाई कोर्ट अपने आदेश में इस बात को स्वीकार करने में असमर्थ रहा कि स्वच्छ वायु का अधिकार, पेयजल का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, शांतिपूर्ण नींद का अधिकार, सिर पर छत का अधिकार, जीवनयापन का अधिकार और शिक्षा की गारंटी का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत आते हैं। लेकिन सभी भारतीय नागरिकों के यह सारे अधिकार जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाए बगैर सुरक्षित नहीं किए जा सकते हैं।

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने अपनी अपील में कहा कि हाईकोर्ट इस बात का भी संज्ञान नहीं ले सका कि वर्ष 1976 में संविधान के 42वें संशोधन के जरिए 7वीं अनुसूची की तीसरी सूची में 20-ए की प्रविष्टि कराई गई थी। इससे केंद्र और राज्य सरकारों को जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन पर कानून को अमल में लाने की अनुमति मिल गई थी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट यह भी नहीं देख सका कि 31 मार्च, 2002 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय आयोग ने जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 47ए शामिल करने की सिफारिश की थी। उन्होंने दावा किया कि जनसंख्या विस्फोट के यह आंकड़े तब हैं जब करीब बीस फीसद भारतीयों के पास आधार कार्ड नहीं है। इसलिए उनकी गणना नहीं हुई।

दिल्ली हाईकोर्ट के याचिका खारिज करने पर जनसंख्या विस्फोट के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में दस्तक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।