नई दिल्ली : दो बच्चों का नियम लागू करने को सुप्रीम कोर्ट में अपील
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने मंगलवार को हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील की जिसमें कहा गया था कि जनसंख्या के संबंध में संसद और विधानसभा को कानून पालन कराना चाहिए। यह काम अदालत का नहीं है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में की गई अपनी अपील में कहा है कि हाई कोर्ट अपने आदेश में इस बात को स्वीकार करने में असमर्थ रहा कि स्वच्छ वायु का अधिकार, पेयजल का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, शांतिपूर्ण नींद का अधिकार, सिर पर छत का अधिकार, जीवनयापन का अधिकार और शिक्षा की गारंटी का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 और 21ए के तहत आते हैं। लेकिन सभी भारतीय नागरिकों के यह सारे अधिकार जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाए बगैर सुरक्षित नहीं किए जा सकते हैं।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने अपनी अपील में कहा कि हाईकोर्ट इस बात का भी संज्ञान नहीं ले सका कि वर्ष 1976 में संविधान के 42वें संशोधन के जरिए 7वीं अनुसूची की तीसरी सूची में 20-ए की प्रविष्टि कराई गई थी। इससे केंद्र और राज्य सरकारों को जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन पर कानून को अमल में लाने की अनुमति मिल गई थी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट यह भी नहीं देख सका कि 31 मार्च, 2002 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय आयोग ने जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 47ए शामिल करने की सिफारिश की थी। उन्होंने दावा किया कि जनसंख्या विस्फोट के यह आंकड़े तब हैं जब करीब बीस फीसद भारतीयों के पास आधार कार्ड नहीं है। इसलिए उनकी गणना नहीं हुई।
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