नई दिल्ली : सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से अब शिक्षक होंगे मुक्त
मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के अपने अंतिम मसौदे में स्कूली शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से पूरी तरह से अलग करने का सुझाव दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है, कि इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी दिखेगा। प्रस्तावित नई शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने अपने प्रारंभिक मसौदे में शिक्षकों को मिड- डे मील की जिम्मेदारी से अलग रखने का सुझाव दिया था। हालांकि मंत्रलय ने अब इसे और सख्त बताते हुए इनमें मिड-डे मील के साथ ही सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से उन्हें मुक्त रखने का सुझाव दिया है। यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की पहले से ही भारी कमी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर के स्कूलों में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब दस लाख पद खाली पड़े हैं। यही वजह है कि मंत्रलय ने प्रस्तावित नीति में इसे प्रमुखता से जगह दी है। प्रस्तावित नीति के जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की तैयारी है।
स्कूली शिक्षकों को चुनावी कार्य सहित दूसरे गैर-शैक्षणिक कार्यो से मुक्त करने का सुझाव इससे पहले नीति आयोग ने भी दिया था। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस पर गंभीरता दिखाई और शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल आफीसर) जैसी जिम्मेदारी से अलग किया है।बावजूद इसके ज्यादातर राज्यों में अभी भी शिक्षकों को चुनाव कार्यो से जोड़कर रखा गया है। पिछले दिनों नीति आयोग ने राज्यों से ऐसे शिक्षकों को ब्योरा मांगा था।
’>>नई शिक्षा नीति के अंतिम मसौदे में मंत्रलय ने की सिफारिश
’>>स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की जगी उम्मीद, सिर्फ पढ़ाई का होगा जिम्मा