100 भ्रष्ट अफसरों पर मुकदमे की सीवीसी को नहीं मिली मंजूरी
मानकों के मुताबिक, भ्रष्टाचार के आरोपित सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति चार महीने के भीतर प्रदान कर दी जानी चाहिए। सीवीसी के आंकड़ों के मुताबिक, भ्रष्टाचार के इन 51 मामलों में 97 अधिकारी संलिप्त हैं। सबसे ज्यादा आठ-आठ अधिकारी कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (भ्रष्टाचार निरोधी मामलों में नोडल अथॉरिटी) और कॉरपोरेशन बैंक के हैं। भ्रष्टाचार के छह मामलों की मंजूरी उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष लंबित है। दो-दो मामले रक्षा मंत्रलय, रेल मंत्रलय, रसायन एवं उर्वरक मंत्रलय, राजस्व विभाग, पंजाब नेशलन बैंक और जम्मू-कश्मीर सरकार के पास लंबित हैं। एक-एक मामला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग), कोयला मंत्रलय, कैनरा बैंक, न्यू इंडिया एशयोरेंस कंपनी लिमिटेड, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय, मानव संसाधन विकास मंत्रलय, जल संसाधन मंत्रलय और लोकसभा के पास लंबित है। 23 अधिकारियों की संलिप्तता वाले 11 मामलों में कॉरपोरेशन बैंक, न्यू इंडिया एशयोरेंस कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने कहा है कि इन मामलों में अभियोजन के लिए मंजूरी जरूरी नहीं है और सीवीसी ने इसे स्वीकार भी किया है। हालांकि इन मामलों में अंतिम फैसले का इंतजार है।
बीत चुकी है चार महीने की निर्धारित समय सीमा