एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग
की समस्त सूचनाएं एक साथ

"BSN" प्राइमरी का मास्टर । Primary Ka Master. Blogger द्वारा संचालित.

जनपदवार खबरें पढ़ें

जनपदवार खबरें महराजगंज लखनऊ इलाहाबाद प्रयागराज गोरखपुर उत्तर प्रदेश फतेहपुर सिद्धार्थनगर गोण्डा बदायूं कुशीनगर सीतापुर बलरामपुर संतकबीरनगर देवरिया बस्ती रायबरेली बाराबंकी फर्रुखाबाद वाराणसी हरदोई उन्नाव सुल्तानपुर पीलीभीत अमेठी अम्बेडकरनगर सोनभद्र बलिया हाथरस सहारनपुर श्रावस्ती बहराइच मुरादाबाद कानपुर अमरोहा जौनपुर लखीमपुर खीरी मथुरा फिरोजाबाद रामपुर गाजीपुर बिजनौर बागपत शाहजहांपुर बांदा प्रतापगढ़ मिर्जापुर जालौन चित्रकूट कासगंज ललितपुर मुजफ्फरनगर अयोध्या चंदौली गाजियाबाद हमीरपुर महोबा झांसी अलीगढ़ गौतमबुद्धनगर संभल हापुड़ पडरौना देवीपाटन फरीदाबाद बुलंदशहर

Search Your City

नई दिल्ली : UPSC IAS इंटरव्यू में जेब से निकल रहा था रूमाल, पूछ लिया- What is That मिस्टर , जानें शानदार जवाब

0 comments

नई दिल्ली : UPSC IAS इंटरव्यू में जेब से निकल रहा था रूमाल, पूछ लिया- What is That मिस्टर , जानें शानदार जवाब

लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली । UPSC IAS interview question: UPSC पास करके IAS और IPS बनना इस देश के लाखों युवाओं का ख्वाब होता है। हजारों तो ऐसे होते हैं जो कई कई सालों से इस चुनौतिपूर्ण परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। वह कभी मेन्स में रह जाते हैं तो कभी इंटरव्यू में। आखिरी स्टेज इंटरव्यू में क्या प्रश्न पूछे जाएंगे, यह परीक्षा की तैयारी कर रहे हर शख्स के जहन में उत्सुकता का विषय होता है। आखिरी उन 20 से 25 मिनट के दौरान किस तरह के सवाल पूछकर उम्मीदवार की पर्सनैलिटी का टेस्ट लिया जाता है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के पूर्व चेयमैन और IAS अफसर (1974 बैच) रह चुके दीपक गुप्ता ने इंटरव्यू को लेकर कुछ टिप्स दिए हैं। अपनी किताब 'द स्टील फ्रेम: ए हिस्ट्री ऑफ आईएएस' को लेकर दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि इंटरव्यू के दौरान उम्मीदवार का व्यवहार, उसके जवाब कैसे होने चाहिए।

दिया एक दिलचस्प उदाहरण
दीपक गुप्ता ने कहा, इंटरव्यू में प्रेसेंस ऑफ माइंड होना काफी जरूरी है। एक काफी पुराना उदाहरण देता हूं - इंटरव्यू रूम में एक उम्मीदवार जैसे ही घुसा, तो उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था। वह थोड़ा नर्वस था। उसने अपने रूमाल से अपना मुंह पोंछ लिया। रूमाल वापस अपनी पेंट की जेब में डाल लिया। जैसे ही आगे बढ़ा, तभी इंटरव्यू बोर्ड के चेयरमैन ने उंगली से इशारा करते हुए कहा - What is 'That' मिस्टर .... ।  उम्मीदवार बोर्ड चेयरमैन की उंगली का इशारा देखा तो उसे लग लगा कि वो उसके जेब से बाहर निकल रहे रूमाल की तरफ इशारा कर रही थी। थोड़ा तो वह एंबेरेस (embarrass) हुआ। तब फिर उसने जवाब दिया - '' 'That Sir ... is a demonstrative pronoun ''  और अपना रूमाल अंदर कर लिया। इस बढ़िया जवाब को सुनकर इंटरव्यू बोर्ड को पता लग गया कि उम्मीदवार का माइंड बिल्कुल सही जगह पर है।  That एक डेमोन्स्ट्रेटिव प्रोनाउन है। 

द स्टील फ्रेम: ए हिस्ट्री ऑफ आईएएस
दीपक गुप्ता ने 'द स्टील फ्रेम: ए हिस्ट्री ऑफ आईएएस (The Steel Frame: A History of the IAS) ' में भारत में सिविल सेवाओं के इतिहास पर प्रकाश डाला है। आजादी से पहले और आजादी के बाद यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में आए तमाम बदलावों के बारे में भी इस किताब में चर्चा की गई है।

दीपक गुप्ता ने सेंट स्टीफन कॉलेज से मास्टर और जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में एमफिल किया हुआ है। 2011 में मिनिस्ट्री ऑफ रिन्यूवल एनर्जी (MNRE) में सेक्रेटरी पद से रिटायर होने के बाद वह कंसल्टेंट के तौर पर वर्ल्ड बैंक व UNIDO में भी रहे। वर्तमान में वह NSEF के महानिदेशक हैं।

upsc

इंटरव्यू के दौरान आपके DAF की होती है अहम भूमिका 
 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के इंटरव्यू में आपके डीएएफ (डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म) से ही ज्यादातर प्रश्न पूछे जाते हैं। डीएएफ देखकर इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य प्रश्न बनाते चले जाते हैं। आप कहां से पासआउट हैं, किस जिले, गांव के रहने वाले हैं, आपका बैकग्राउंड, आपकी रुचि वगैरह वगैरह से प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं। यह बात आप एक उदाहरण से अच्छी तरह समझ सकते हैं। दो उम्मीदवारों ने अपने डीएएफ में लिखा हुआ था कि उन्हें फिल्में देखना पसंद है। तो उनसे उन फिल्मों के बारे में पूछ लिया गया तो उस वक्त हाल में रिलीज हुई थी। 

पद्मावत कैसी लगी?
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने के उत्तर प्रदेश के रहने वाले सूरज कुमार राय ने बताया, 'मुझे पूछा गया- 'आपने आखिरी फिल्म कौन सी देखी थी?' मैंने उत्तर दिया- पद्मावत। तो मुझसे पद्मावत का क्रिटिकल रिव्यू पूछा गया। पूछा गया कि आपको पद्मावत मूवी कैसी लगी? मैंने उत्तर दिया कि फिल्म के टेक्निकल पार्ट, कॉस्ट्यूम, सेट्स डिजाइन, विजुअल बहुत शानदार और उम्दा थे। लेकिन कहानी थोड़ी और कसी हुई हो सकती थी। 
...तो मुझसे पूछा गया कि फिल्म की कहानी में क्या दिक्कत थी? 
मैंने उत्तर दिया कि इस फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों का ख्याल नहीं रखा गया। ये मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित पद्मावत से अलग थी। और फिर जब ऐतिहासिक तथ्यों को हिलाया गया है, तो नाम यह यूज नहीं करना चाहिए था। नाम कोई दूसरा रखा जा सकता था। कहानी सबको पता थी, बस इसे लंबा खींच दिया गया। 
अपने इस उत्तर को पॉजिटिव नोट के साथ खत्म करते हुए सूरज ने अंत में कहा- इस फिल्म में आर्ट एंड डिजाइन का काम काफी अच्छा था। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महत्वपूर्ण सूचना...


बेसिक शिक्षा परिषद के शासनादेश, सूचनाएँ, आदेश निर्देश तथा सभी समाचार एक साथ एक जगह...
सादर नमस्कार साथियों, सभी पाठकगण ध्यान दें इस ब्लॉग साईट पर मौजूद समस्त सामग्री Google Search, सोशल नेटवर्किंग साइट्स (व्हा्ट्सऐप, टेलीग्राम एवं फेसबुक) से भी लिया गया है। किसी भी खबर की पुष्टि के लिए आप स्वयं अपने मत का उपयोग करते हुए खबर की पुष्टि करें, उसकी पुरी जिम्मेदारी आपकी होगी। इस ब्लाग पर सम्बन्धित सामग्री की किसी भी ख़बर एवं जानकारी के तथ्य में किसी भी तरह की गड़बड़ी एवं समस्या पाए जाने पर ब्लाग एडमिन /लेखक कहीं से भी दोषी अथवा जिम्मेदार नहीं होंगे, सादर धन्यवाद।