बांदा : भविष्य गढ़ने में आड़े आ रही शिक्षकों की कमी
ब्लॉक मुख्यालय के नजदीकी स्कूलों को छोड़कर सभी परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की भारी कमी है। आंकड़ों पर निगाह डालें तो क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 175 है। इनमें 10892 छात्र व 10392 छात्रएं पढ़ रहे हैं। कुल छात्र-छात्रओं की संख्या 21284 है। उनकी शिक्षा के लिए सिर्फ 353 शिक्षक हैं। जबकि मानक के मुताबिक 710 शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। इसी तरह उच्च प्राथमिक विद्यालयों के हालात और भी बदतर हैं। 73 स्कूलों में 8752 छात्र हैं। इनमें 4509 बालक व 4243 बालिकाएं पंजीकृत हैं। इनको वर्तमान में मात्र 165 शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। मानक के अनुसार 251 शिक्षक होना चाहिए। सरकारी तौर पर यह ब्लाक क्षेत्र की 57 ग्राम पंचायतों में स्थित विद्यालयों के आंकड़े है। अभिभावकों का मानना है कि सरकार के सर्व शिक्षा अभियान के चलते शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। इनमें भी ज्यादातर शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं या कार्य से बाहर चले जाते हैं। लापरवाही के चलते परिषदीय विद्यालयों के प्रति अभिभावकों का रुझान कम होता जा रहा है। स्थित प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिला।
खुद उठाई पढ़ाने की जिम्मेदारी: अभिभावक अपने नौनिहालों को शिक्षित करने के लिए विद्यालय भेजते हैं, लेकिन बच्चे खुद अध्यापकों की जगह लेकर खुद टूटी-फूटी शिक्षा देने जुट जाते हैं। ऐसा ही एक नजारा कस्बे के अतर्रा रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिला। यहां छात्र खुद अपने साथियों को पढ़ा रहे हैं।
बबेरू के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक न होने पर कक्षा में बच्चों को पढ़ता छात्र रामू ’ जागरण
क्षेत्र में शिक्षकों की कमी तो है। इसके लिए शासन को लगातार अवगत कराया जाता है। अध्यापकों के आने पर ही कमी पूरी हो सकेगी। शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों के सहारे शिक्षा में गुणवत्ता देने का प्रयास किया जा रहा हैं।
कैलाश पटेल, खंड शिक्षा अधिकारी, बबेरू