नई दिल्ली : आयकर में राहत की तैयारी,
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : आगामी बजट में आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है। सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट सेक्टर को बड़ी टैक्स राहत देने के बाद सरकार अब आम जनता के लिए आयकर की दर में कटौती पर गंभीरता से विचार कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक बार फिर इस बात के साफ संकेत दिए। एक कार्यक्रम में आर्थिक विकास दर के घटने की बात को स्वीकारते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे पास विकास दर की रफ्तार तेज करने के कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं, इनमें आयकर की दर में कटौती भी एक है। जब यह पूछा गया कि ऐसा कब तक हो सकता है तो उन्होंने जवाब दिया कि बजट तक सभी को इंतजार करना चाहिए। सोमवार को संसद में भी एक मुद्दे पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने ऐसा संकेत दिया था।
सीतारमण ने टैक्स रेट को घटाने के साथ ही कर ढांचे को आम करदाताओं के लिए सुगम बनाने का भी वादा किया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘टैक्सेशन के बारे में पूछताछ के मौजूदा तरीके को हमने काफी हद तक बदल दिया है। अब यह ‘फेसलेस’ होता है। हम धीरे-धीरे पूरी व्यवस्था को उत्पीड़न मुक्त बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रक्रिया समझने में आसान होगी और अलग-अलग तरह की छूट के प्रावधानों से मुक्त होगी।’ वित्त मंत्री के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसकी जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही है। यह मौजूदा आयकर ढांचे में बड़े बदलाव की जमीन तैयार करेगा। पर्सनल टैक्स व्यवस्था में बदलाव के लिए सरकार की ओर से गठित समिति की तरफ से डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) नाम से एक रिपोर्ट दी गई है। इसमें आयकर की दर को नीचे लाने के साथ ही मौजूदा ढांचे को पूरी तरह से बदलने की सिफारिश की गई है। इसमें आय कर में मिलने वाली तमाम तरह की छूट को समाप्त कर उनकी जगह कर की दर को नीचे लाने की मुख्य तौर पर सिफारिश की गई है। वित्त मंत्री ने राज्यसभा में डीटीसी पर भी विचार करने की बात कही थी।
सितंबर में मिली थी कॉरपोरेट सेक्टर को छूट : केंद्र सरकार ने आर्थिक मंदी के आसार को भांपते हुए सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसद से घटाकर 22 फीसद कर दिया था। मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग को बढ़ावा देने वाले इस कदम से भारत अभी दुनिया के सबसे आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर उभरा है। हालांकि कई आर्थिक विशेषज्ञों ने हाल ही में कहा है कि भारत की मंदी के पीछे घरेलू मांग में भारी कमी काफी हद तक जिम्मेदार है और इससे निपटने के लिए इनकम टैक्स रेट घटाना प्रभावी कदम हो सकता है।
बहुत आसान नहीं है कटौती की राह: वैसे सरकार की इस मंशा की राह में मौजूदा राजकोषीय स्थिति एक बड़ी अड़चन है। केंद्र के खजाने की स्थिति बहुत उत्साहजनक नहीं है। कॉरपोरेट टैक्स में कमी से सरकारी खजाने में 1.45 लाख करोड़ रुपये की आमदनी कम होगी। पिछले बजट में पांच लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर भी टैक्स से छूट दे दी गई थी और उसका बोझ पड़ा था। वहीं जीएसटी संग्रह भी उम्मीद से काफी कम है।
नवंबर, 2019 तक डायरेक्ट टैक्स संग्रह में पांच फीसद का इजाफा हुआ है। ऐसे में यह देखना होगा कि इनकम टैक्स रेट घटाकर सरकार इसके संग्रह में कमी का कितना खतरा उठाती है। यह कदम राजकोषीय संतुलन को और चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
नई दिल्ली : आगामी बजट में आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है। सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट सेक्टर को बड़ी टैक्स राहत देने के बाद सरकार अब आम जनता के लिए आयकर की दर में कटौती पर गंभीरता से विचार कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक बार फिर इस बात के साफ संकेत दिए। एक कार्यक्रम में आर्थिक विकास दर के घटने की बात को स्वीकारते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे पास विकास दर की रफ्तार तेज करने के कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं, इनमें आयकर की दर में कटौती भी एक है। जब यह पूछा गया कि ऐसा कब तक हो सकता है तो उन्होंने जवाब दिया कि बजट तक सभी को इंतजार करना चाहिए। सोमवार को संसद में भी एक मुद्दे पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने ऐसा संकेत दिया था।सीतारमण ने टैक्स रेट को घटाने के साथ ही कर ढांचे को आम करदाताओं के लिए सुगम बनाने का भी वादा किया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘टैक्सेशन के बारे में पूछताछ के मौजूदा तरीके को हमने काफी हद तक बदल दिया है। अब यह ‘फेसलेस’ होता है। हम धीरे-धीरे पूरी व्यवस्था को उत्पीड़न मुक्त बनाने की तरफ बढ़ रहे हैं। प्रक्रिया समझने में आसान होगी और अलग-अलग तरह की छूट के प्रावधानों से मुक्त होगी।’ वित्त मंत्री के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसकी जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही है। यह मौजूदा आयकर ढांचे में बड़े बदलाव की जमीन तैयार करेगा। पर्सनल टैक्स व्यवस्था में बदलाव के लिए सरकार की ओर से गठित समिति की तरफ से डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) नाम से एक रिपोर्ट दी गई है। इसमें आयकर की दर को नीचे लाने के साथ ही मौजूदा ढांचे को पूरी तरह से बदलने की सिफारिश की गई है। इसमें आय कर में मिलने वाली तमाम तरह की छूट को समाप्त कर उनकी जगह कर की दर को नीचे लाने की मुख्य तौर पर सिफारिश की गई है। वित्त मंत्री ने राज्यसभा में डीटीसी पर भी विचार करने की बात कही थी।
सितंबर में मिली थी कॉरपोरेट सेक्टर को छूट : केंद्र सरकार ने आर्थिक मंदी के आसार को भांपते हुए सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 फीसद से घटाकर 22 फीसद कर दिया था। मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग को बढ़ावा देने वाले इस कदम से भारत अभी दुनिया के सबसे आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर उभरा है। हालांकि कई आर्थिक विशेषज्ञों ने हाल ही में कहा है कि भारत की मंदी के पीछे घरेलू मांग में भारी कमी काफी हद तक जिम्मेदार है और इससे निपटने के लिए इनकम टैक्स रेट घटाना प्रभावी कदम हो सकता है। वैसे सरकार की इस मंशा की राह में मौजूदा राजकोषीय स्थिति एक बड़ी अड़चन है। केंद्र के खजाने की स्थिति बहुत उत्साहजनक नहीं है।
’>>अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार कई कदमों पर कर रही विचार
’>>आयकर में छूट के प्रावधानों को हटाकर सीधे दर नीचे लाने का प्रस्ताव
इसलिए जरूरी
’ आयकर की दर में कमी लाने से घरेलू मांग बढ़ाने में मिलेगी मदद
’ आयकर व्यवस्था आसान बनने से कर अनुपालन भी बढ़ने की उम्मीद
यह है खतरा
’ राजस्व संग्रह की स्थिति को देखते हुए राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ’ फाइल फोटो
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की राह मुश्किल
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान पिछले हफ्ते एक सार्वजनिक कार्यक्रम में और दोबारा लोकसभा में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने की मांग कर चुके हैं। प्रधान पिछले एक वर्ष के दौरान तकरीबन दर्जन बार यह उम्मीद जता चुके हैं। सड़क राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं। पेज 17।