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सिद्धार्थनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों की नहीं हो रही निगरानी

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सिद्धार्थनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों की नहीं हो रही निगरानी

जासं, जोगिया, सिद्धार्थनगर : बाल विकास परियोजना की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। कई आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहते हैं, जहां खुलता भी है वहां की कार्यकर्ता गायब रहतीं हैं। जिसके चलते बच्चों में पोषाहार वितरण नहीं होता। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने को मजबूर हैं। गुरुवार को जागरण की पड़ताल में केंद्रों की सच्चाई सामने आई।

केस: समय 9:40 बजे: प्राथमिक विद्यालय नादेपार में अतिरिक्त कक्ष में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र मजिगवां द्वितीय का कमरा खुला था। कार्यकर्ता गायब रहीं। केंद्र ऐसा लग रहा जैसे कोई स्टोर रूम हो। एक तरफ तीन बच्चियां चटाई पर खेल रही थीं। ¨बद्रावती, शहनाज व रोशनी ने बताया एक वर्ष से पोषाहार नहीं मिला।

केस: समय 10 बजे: आंगनबाड़ी केंद्र टिकरिया द्वितीय बंद रहा। ग्रामीणों ने बताया कि केंद्र कभी नहीं खुलता है। बच्चों में बटने वाला पोषाहार पशु आहार बन गया है। कार्यकर्ता के मोबाइल नम्बर 8874877018 पर बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन स्वीच आफ रहा। जिससे कितने बच्चे पंजीकृत हैं कोई जानकारी नहीं मिल सकी।

केस: समय 10:30 बजे: प्राथमिक विद्यालय कोरापार में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र महुआ चतुर्थ में सात बच्चे उपस्थित रहे। कार्यकर्ता नहीं थीं, सहायिका मंजू सात बच्चों को कुछ पढ़ा रही थीं।

प्रावि नादेपार में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र मजिगवां द्वितीय में उपस्थित तीन बच्चे ’ जागरण

प्राथमिक विद्यालय पोखरभिटवा के पास आंगनबाड़ी केंद्र टिकरिया द्वितीय में लगा ताला

अभी मैं लखनऊ आया हुआ हूं, वापस आने पर जांच की जाएगी। अगर केंद्र बंद रहते हैं, तो ऐसे कार्यकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

निर्भय सिंह, सीडीपीओ, जोगिया

क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है। इतना ही नहीं न तो पढ़ाई होती है और न ही बच्चों में पोषाहार वितरित किया जाता है। दिलीप साहनी

अिनुपस्थित कार्यकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाए। पोषाहार का वितरण होने से कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयेगी।

श्रीकांत मिश्र

सरकार ने क्षेत्र में कई आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कराया, लेकिन आज भी तमाम केंद्र प्राथमिक विद्यालय में संचालित हो रहे हैं।

¨पटू शुक्ला ग्रामीण

कई माह से केंद्र नहीं खोला गया है। पोषाहार भी नहीं मिलता है। कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाने की मंशा जिम्मेदारों के कारण तार-तार हो रही है। विमलेश यादव

आंगनबाड़ी केंद्रों की नहीं हो रही निगरानी

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