कासगंज : खिचड़ी में निबटाया दाल-चावल का मेन्यू
गंजडुंडवारा के प्राथमिक स्कूल नगला लच्छी में बच्चों को सिर्फ चावल ही दिए गए। शिक्षिका प्रियंका सिंह, शिक्षामित्र धर्मेंद्र एवं मुकेश बाबू गैरहाजिर थे। प्रधानाचार्य से दाल के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे पास में दाल नहीं है, इसलिए चावल ही दिए गए हैं। प्राथमिक स्कूल रजामई में दाल-चावल के नाम पर सिर्फ खिचड़ी थी। प्राथमिक स्कूल सिढ़पुरा में भी खिचड़ी दी गई। इन दोनों स्कूलों के शिक्षकों ने कहा कि दाल और चावल को मिलाकर दिया गया है, लेकिन थाली बता रही थी कि यह दाल-चावल हैं या खिचड़ी।
सब्जियों एवं दाल के पैसों की बचत : शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों और ग्रामीणों का दावा है कि शिक्षक एमडीएम के नाम पर वित्तीय अनियमितता कर रहे हैं। खिचड़ी बनाने से दाल की भी खपत कम होती है तो सब्जियों के पैसे भी पूरी तरह बच जाते हैं।
छात्र संख्या में भी होता खेल: छात्र संख्या के नाम पर भी स्कूलों में खेल होता है। पिछले दिनों गंजडुंडवारा के कंचनपुर नागरपुर स्कूल में बीएसए ने भी इसे पकड़ा था। यहां 265 पंजीकृत बच्चों के सापेक्ष 200 बच्चे दर्शाए जा रहे थे, जबकि मौके पर बीएसए को मात्र 85 बच्चे मिले। अधिकतर शिक्षक एमडीएम रजिस्टर में छात्रों की संख्या छुट्टी के वक्त चढ़ाते हैं, ताकि अधिकारी के निरीक्षण के दौरान हकीकत नहीं खुल सके। 20 बच्चे भी फर्जी दर्शाने पर महीने में ढाई से तीन हजार रुपये शिक्षकों की जेब में जाते हैं।
’>>नगला लच्छी में एमडीएम के नाम पर खानापूíत
’ सिढ़पुरा के स्कूलों में बच्चों को खिलाई खिचड़ी
मंगलवार को सिढ़पुरा के प्राथमिक स्कूल में दाल-चावल की जगह बच्चों की थाली में परोसी गई खिचड़ी। भोजन करने से पूर्व हाथ जोड़कर ध्यान करते बच्चे’ जागरण
मंगलवार को गंजडुंडवारा के प्राथमिक स्कूल रजामऊ में दाल और चावल की जगह विद्यार्थियों को खिचड़ी देतीं रसोइया ’ जागरण