लखनऊ : बेसिक शिक्षा की योजनाओं की बढ़ेगी रफ्तार
बेसिक शिक्षा विभाग मिड-डे मील, परिषदीय स्कूलों को दी जाने वाली कंपोजिट ग्रांट, बच्चों को निश्शुल्क यूनीफॉर्म, शैक्षिक गुणवत्ता से जुड़ी विभिन्न योजनाओं आदि के लिए राज्य मुख्यालय से विद्यालय स्तर पर उपयोग के लिए धनराशि भेजता है। विद्यालय स्तर पर इस धनराशि का इस्तेमाल विद्यालय प्रबंध समिति करती है। प्राय: योजनाओं के लिए भेजी गई धनराशि विभिन्न स्तर पर बैंक खातों में अप्रयुक्त पड़ी रहती है। इससे जहां योजनाओं की रफ्तार प्रभावित होती है, वहीं यह भी पता नहीं चल पाता है कि रकम किस स्तर पर रुकी हुई है।
पीएफएमएस के इस्तेमाल से यह पता लगाना आसान होगा कि धनराशि किस स्तर पर रुकी है। इससे संबंधित अधिकारी को तलब किया जा सकता है कि उसने क्यों फंड को रोका हुआ है। जवाब तलब किये जाने के डर से अधिकारी इस प्रवृत्ति से बचेंगे। इससे विद्यालय प्रबंध समिति के स्तर तक धनराशि के हस्तांतरण और उसका खर्च सुनिश्चित करने में तेजी आएगी और योजनाओं को त्वरित गति से अमली जामा पहनाया जा सकेगा। धनराशि के हस्तांतरण में पारदर्शिता भी आएगी। इससे खासतौर पर पिछले वर्षों में विभिन्न स्तरों पर अप्रयुक्त पड़ी धनराशि की समस्या के समाधान में भी मदद मिलेगी।
समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि पीएफएमएस पोर्टल पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में जिला, ब्लॉक, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और विद्यालय प्रबंध समिति सतर की लगभग 1,64,000 क्रियान्वयन एजेंसियों का पंजीकरण किया जा चुका है। केंद्र सरकार से इन पंजीकृत एजेंसियों का माइग्रेशन समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत कराया जा रहा है जो अंतिम चरण में है।
पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम से खातों में पड़ी रकम की हो सकेगी निगरानी