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बरेली : स्कूलों में बच्चों को मिल रहा सूखा भात, साहब खा रहे मटर मनीर

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बरेली : स्कूलों में बच्चों को मिल रहा सूखा भात, साहब खा रहे मटर मनीर  

बरेली | वरिष्ठ संवाददाताUpdated: Sun, 09 Feb 2020 01:02 PM

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प्रधानमंत्री मोदी वीआईपी कल्चर के विरोध में चाहे कितना भी बोलें मगर अधिकारियों के मन से वीआईपी शब्द नहीं निकल रहा है। एडी बेसिक ने आगामी बैठक के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। इसमें भोजन की वीआईपी व्यवस्था शब्द का साफ उल्लेख किया गया है। यह हाल तब है जब बच्चों के मिड-डे मील की व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। अपर मुख्य सचिव के आदेश के बाद बरेली में 15 फरवरी को मंडलीय बैठक होने जा रही है। इसमें बेसिक शिक्षा के स्कूलों में सुधार पर चर्चा होगी। इसमें चारों जिलों के प्रशासनिक और शिक्षा अधिकारी शामिल होंगे। बैठक की जिम्मेदारी एडी बेसिक एसएन सिंह को दी गई है।

सवाल बड़े प्रशासनिक अधिकारियों का है तो उन्हें प्रसन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। पिछले दिनों एडी बेसिक ने एक विज्ञापन जारी किया। विज्ञापन के माध्यम से  315 व्यक्तियों के लिए अल्पाहार और भोजन की वीआईपी व्यवस्था के लिए निविदा आमंत्रित की गई है। तमाम समाजसेवियों ने वीआईपी व्यवस्था पर आपत्ति जाहिर की है। उनका कहना है कि बैठक के बहाने सिर्फ फंड का दुरुपयोग होगा। बच्चों के शैक्षिक स्तर और स्कूलों की स्थिति में वर्षों बाद भी कोई विशेष सुधार नहीं दिख रहा है।   एडी बेसिक एसएन सिंह ने बताया कि 15 फरवरी को मंडल स्तरीय गोष्ठी होनी है। इसमें कमिश्नर के साथ ही चारों जिलों के डीएम, सीडीओ, डीपीआरओ, बीएसए, बीईओ, एआरपी  शामिल होंगे। बैठक के लिए व्यवस्थाएं कराई जा रही हैं। प्रति व्यक्ति 500 रुपये के हिसाब से भोजन का बजट है।

यह है वीआईपी व्यवस्था का मेन्यू

हिन्दुस्तान ने शहर के कुछ कैटर्स से बात कर वीआईपी व्यवस्था का मैन्यू जाना। कैटर्स ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग की वीआईपी बैठक का मैन्यू 800 रुपये से लेकर 1000 रुपये प्रति प्लेट है। कई बार बजट कम होने पर भी कैटर्स ठेका ले लेते हैं। बाद में उन्हें विभागीय अधिकारी आफ दि रिकार्ड पेमेंट कर देते हैं।   इसकी जिम्मेदारी किसी बड़े स्कूल या विभाग के ठेकेदार पर डाल दी जाती है। 
नाश्ता : कॉफी, चाय, सूप, कटलेट, ्प्रिरंग रोल, पनीर पकौड़ी, हलवा, रसगुल्ला
भोजन : मटर पनीर, कढ़ाई पनीर या शाही पनीर, दाल मक्खनी, मलाई कोफ्ता, कड़ी पकौड़ा, मिक्स वेज, तंदूर रोटी, मिस्सी, नॉन, लच्छा पराठा, जीरा राईस, बूंदी रायता, सलाद, पापड़, अचार, गुलाब जामुन। 

यह है मिड डे मील का हाल

  • एसडीएम विशु राजा ने पिछले वर्ष 19 सितंबर को फरीदपुर के स्कूलों का निरीक्षण किया। इस दौरान प्राइमरी स्कूल शंकरपुर में बनी तहेरी कच्ची पाई गई। 
  • डीएम ने 21 दिसंबर को स्कूलों का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने 55 स्कूलों का निरीक्षण किया। इनमें से अधिकांश में मिड डे मील में गड़बड़ी पकड़ी गई थी।
  • 25 अक्टूबर 2019 को सीडीओ ने इस्लामियां गर्ल्स इंटर कालेज में मिड डे मील की जांच की। यहां एनजीओ खाना भेजती है। छात्राओं ने बताया कि इतना घटिया खाना आता है कि हम उसे फेंक देते हैं।
  • वर्ष 2018 में सीबीगंज इंटर कालेज में 18 सितंबर को मिड डे मील में कीड़े निकलने पर जोरदार हंगामा हुआ। बच्चों ने खाना फिंकवा दिया।

काश बच्चों को भी मिलता मटर-पनीर

खेत मजदूर यूनियन के राजीव शांत ने कहा कि स्कूलों में बंटने वाले मिड डे मील में भ्रष्टाचार के घुन लगे हुए हैं। बच्चों को सूखी खिचड़ी, कच्चे दाल-चावल से काम चलाना पड़ता है। उन्हीं बच्चों के कल्याण के नाम पर होने वाली बैठकों में वीआईपी भोजन परोसा जा रहा है। काश बच्चों को भी कभी मटर पनीर खाने को मिलता। 

ट्रेनिंग-बैठक में उड़ाया जा रहा पैसा 

समाजसेवी राज नारायण गुप्ता ने कहा कि ट्रेनिंग और बैठक के नाम पर जनता का पैसा उड़ाया जा रहा है। सरकारों के बदलने के बाद भी यह सब नहीं बदल रहा। ट्रेनिंग के बावजूद स्कूलों की स्थिति में कोई विशेष सुधार  नहीं आ रहा है। सरकार को वीआईपी कल्चर खत्म करने पर गंभीरता से सोचना होगा।  

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